बायोगैस का कई प्रदेशों में कर रहे सप्लाई
संवाद सूत्र, लालढांग : गोबर और फसलों के अवशेष अब समस्या नहीं रहे हैं, बल्कि वरदान साबित हो र
संवाद सूत्र, लालढांग : गोबर और फसलों के अवशेष अब समस्या नहीं रहे हैं, बल्कि वरदान साबित हो रहे हैं। इससे तैयार की जा रही गैस (सीएनजी) एक ऐसा ईंधन है। जिससे कई औद्योगिक प्रतिष्ठानों के चूल्हे जल रहे हैं। लालढांग क्षेत्र के गैंडीखाता के नौरंगाबाद गांव में श्री कृष्णायन देशी गोरक्षाशाला की ओर से एक प्लांट लगाया गया है। इसमें गोबर से बायोगैस बनाने के साथ ही जैविक खाद भी बनाई जा रही है। इसको बढ़ावा देने के लिए किसानों को निश्शुल्क दी जा रही है।
गोबर को लोग एक बहुत बड़ी समस्या मानते हैं। इसके निस्तारण को लेकर दिक्कत बढ़ती है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में तो गोबर को खाद के रूप में प्रयोग कर लिया जाता है। लेकिन शहरों में इसका संकट है। लालढांग के नौरंगाबाद गांव में श्री कृष्णायन देशी रक्षा गोशाला ने इसके लिए एक सीएनजी प्लांट लगाया है। इसमें बायोमीथेन गैस बनाकर दूसरे प्रांतों में सप्लाई की जा रही है। प्लांट में प्रतिदिन 25 टन गोबर से बायोगैस बनाई जा रही है। इसकी सप्लाई पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों में की जा रही है। शीघ्र आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की संस्था को गैस देने पर विचार चल रहा है। प्लांट में बायोगैस बनने के बाद जो अपशिष्ट बचता है, उससे जैविक खाद बनाई जा रही है। इसकी पैके¨जग कर बाहर सप्लाई की जा रही है। साथ ही गो मूत्र से खेती की उपज को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरक से छुटकारा दिलाने का काम किया जा रहा है। स्थानीय किसानों को जैविक खाद निश्शुल्क दी जा रही है।
महामंडलेश्वर स्वामी ईश्वरदास, अध्यक्ष, श्री कृष्णायन देशी रक्षा गोशाला