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भूमा पीठाधीश्वर ने किया मठ मंदिर मुक्ति आंदोलन का समर्थन

जागरण संवाददाता हरिद्वार भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने मठ-मंदिर मुक्ति आ

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 08:46 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 08:46 PM (IST)
भूमा पीठाधीश्वर ने किया मठ मंदिर मुक्ति आंदोलन का समर्थन
भूमा पीठाधीश्वर ने किया मठ मंदिर मुक्ति आंदोलन का समर्थन

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने मठ-मंदिर मुक्ति आंदोलन का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि किसी भी धार्मिक स्थल अथवा मठ-मंदिर पर सरकार का नियंत्रण होना धर्म के प्रति सरकार की उदासीनता को दर्शाता है। सरकार किसी भी धार्मिक स्थल की व्यवस्थापक तो हो सकती है। लेकिन, प्रबंधन नहीं। धर्माचार्य और धर्म गुरु ही धार्मिक स्थलों का सही ढंग से संचालन कर सकते हैं।

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सोमवार को भूपतवाला स्थित भूमानंद आश्रम में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि सरकार को मठ मंदिर अधिग्रहण करने की बजाए वहां की बेहतर व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। कहा कि हिदू समाज की कमजोरी के कारण सरकारों की ओर से मठ मंदिरों को अपने कब्जे में लिया जा रहा है। जिसके विरोध में आमजन को भी आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार मात्र हिदू धर्म स्थलों को निशाना बना रही है। जिसे संत समाज कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। चारधाम में लागू होना चाहिए ड्रेस कोड

उत्तराखंड सरकार की ओर से देवस्थानम बोर्ड रद ना किए जाने पर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए। कहा कि देवस्थानम बोर्ड को लेकर सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करे। देवस्थान बोर्ड को रद करने के बाद सरकार को चारों धामों के बेहतर व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए। साथ ही वहां पर ड्रेस कोड भी लागू होना चाहिए। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री से जुड़े धर्म अधिकारियों को अपने वस्त्रों पर नियंत्रण रखना चाहिए। धर्म अधिकारियों का जींस पैंट पहन कर मंदिर में प्रवेश वर्जित होना चाहिए। सरकार बताए कि पूरे देश में कितने चर्च और मस्जिदों के नक्शे विकास प्राधिकरण से पास हैं। मात्र हिदू धर्म स्थलों को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है। सरकार को क्षतिग्रस्त और जर्जर अवस्था में पड़े मठ मंदिर, आश्रम, अखाड़ों का जीणरेंद्धार कर धर्म की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए। तभी राष्ट्रीय एकता और अखंडता को कायम रखा जा सकता है।


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