भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण को बॉर्डर पर रोका, शहर में पुलिस मुस्तैद
पुलिस ने भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण को हरिद्वार बॉर्डर पर ही रोक दिया। वो नमामि गंगे घाट पर संत रविदास की प्रतिमा स्थापित करने के लिए आ रहे थे।
हरिद्वार, जेएनएन। चंडीघाट के नमामि गंगे घाट पर संत रविदास की प्रतिमा स्थापित करने के लिए भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ हरिद्वार आ रहे थे। सुबह से ही पुलिस ने जिले की सीमाओं और शहर और देहात में अलग-अलग जगहों पर नाकेबंदी कर दी। चंद्रशेखर रावण को भगवानपुर के मंडावर बॉर्डर पर रोक दिया गया है।
वहीं, बहादराबाद में एसडीएम सदर और सीओ सदर लोगों को चंडीगढ़ जाने से रोकने के लिए मुस्तैद है। चंडीघाट चौक पर एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय के नेतृत्व में पुलिस बल तैनात है। एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय ने बताया कि चंद्रशेखर रावण को मंडावर बॉर्डर पर रोक दिया गया है।
बॉर्डर पर पुलिसकर्मियों की लोगों से हुई नोकझोंक
अनलॉक वन में कई तरह की छूट मिल गई है। इसको देखते हुए उत्तराखंड में पर्यटक के रूप में बड़ी संख्या में लोग बॉर्डर पर पहुंचे। यहां पर प्रवेश करने को लेकर उनकी पुलिसकर्मियों से नोकझोंक हुई, लेकिन पुलिस ने एंट्री नहीं दी।
मंगलवार को काली नदी चेकपोस्ट पर हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ और उत्तर प्रदेश के लोगों का जमावड़ा लगा रहा, लेकिन इन लोगों के पास किसी तरह का वैध पास नहीं था। इस पर सभी को बॉर्डर से वापस कर दिया गया। अस्थियां विसर्जन करने वाले लोगों को बॉर्डर से अंदर आने की अनुमति दी गई। पुलिस अधीक्षक देहात स्वप्न किशोर सिंह ने बताया कि जो लोग उत्तराखंड के हैं और प्रदेश में वापस आ रहे हैं उनको आने की इजाजत दी गई। उनकी थर्मल स्क्रीनिंग आदि की गई, लेकिन शेष सभी को वापस कर दिया गया है।
यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने दिया धरना
प्रदेश सरकार की नीतियों के खिलाफ यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने धरना दिया। सरकार पर क्वारंटाइन सेंटर की व्यवस्थाओं को दुरुस्त न करने का भी आरोप लगाया गया। यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुमित्र भुल्लर के नेतृत्व में कार्यकर्ता कोटा मुरादनगर गांव पहुंचे। यहां पर उन्होंने सरकार के खिलाफ धरना दिया। उन्होंने कहा लॉकडाउन की सबसे अधिक मार किसान और मजदूरों पर पड़ी है। सरकार की ओर से उनको घर तक पहुंचाने के कोई इंतजाम नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि सरकार क्वारंटाइन सेंटरों की व्यवस्था ठीक करने में भी नाकाम साबित हो रही है।
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प्रवासी लोगों के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है। सरकार केवल कागजों में रोजगार दिलाने की बात कह रही है। उन्होंने मांग उठाई कि सरकार मजदूर, किसान एवं कामगारों को तत्काल 10-10 हजार रुपये की सहायता दें। इसके अलावा छह माह तक उनको साढ़े सात हजार रुपये दिए जाए। मनरेगा के तहत श्रमिकों को 200 दिन का रोजगार दिया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत और जन विरोधी नीतियों के खिलाफ उनका आंदोलन जारी रहेगा। इस मौके पर एजाज, शुभम, उस्मान, नौशाद, मो. शमद, आलम आफताब आदि मौजूद रहे।
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