सेना के सर्वोच्च पराक्रम का प्रतीक है विजय दिवस
जागरण संवाददाता, रुड़की: विजय दिवस के मौके पर बंगाल इंजीनिय¨रग ग्रुप एंड सेंटर समेत कई स्
जागरण संवाददाता, रुड़की: विजय दिवस के मौके पर बंगाल इंजीनिय¨रग ग्रुप एंड सेंटर समेत कई स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए। इस दौरान अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही विजय दिवस को सेना के सर्वोच्च पराक्रम का प्रतीक बताया।
शनिवार को बीईजी एंड सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में कमांडेंट ब्रिगेडियर एसके कटारिया ने कहा कि 1971 की लड़ाई में भारतीय सेनाओं ने दुश्मन की फौज के दांत खट्टे कर दिए थे। इस युद्ध में बीईजी एंड सेंटर का भी अहम योगदान रहा। मेजर सुरेन्द्र वत्स एवं सेकेंड ले. पीएस चीमा के नेतृत्व में बीईजी के जवानों ने अद्भुत साहस का परिचय दिया। इस युद्ध के उपरांत बीईजी को तीन थियेटर ऑनर, दो वीर चक्र और 8 सेना मेडल मिले। इस मौके पर उन्होंने शहीद स्मारक पर पहुंचकर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। दूसरी ओर भाजपा लंढौरा मंडल की ओर से भी विजय दिवस के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर 1971 के युद्ध में शामिल रहे पूर्व सैनिक मदन ¨सह बिष्ट, भगत ¨सह नेगी और रामजी ने युद्ध से जुड़े संस्मरण को सुनाया। इस मौके पर पूर्व सैनिकों को सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर मंडल अध्यक्ष जितेन्द्र पुंडीर, महामंत्री ब्रिजेश त्यागी, सतीश नेगी, भगत ¨सह नेगी, अनिल लोहानी, रवि कश्यप, संतोष नेगी, चंदन ¨सह, दीपक चिप्पा, प्रदीपपाल, शिवकुमार त्यागी, विश्वास त्यागी, हसरत अली, विनोद पुंडीर, जसबीर चौधरी आदि मौजूद रहे। दूसरी ओर भाजपा सैनिक प्रकोष्ठ के प्रदेश सहसंयोजक गबर ¨सह रावत ने कहा कि वह स्वयं इस युद्ध में शामिल रहे हैं। तब भारतीय फौज ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिये थे। वर्तमान समय में भी पाकिस्तान के खिलाफ इसी तरह से जवाब देना होगा। इस मौके पर इंद्रपाल ¨सह, महेन्द्र ¨सह, विरेन्द्र ¨सह, अशोक कुमार, जसपाल गुंसाई, केशर ¨सह, विक्रम मेहता, शिवकुमार गुप्ता, दौलत ¨सह, जितेन्द्र आदि मौजूद रहे।