एक भी बारह¨सघा पर नहीं लगा रेडियो कॉलर
लालढांग: डेढ़ माह बाद भी बारह¨सघा पर रेडियो कॉलर लगाने में सफलता नहीं मिल पाई है। क
लालढांग: डेढ़ माह बाद भी बारह¨सघा पर रेडियो कॉलर लगाने में सफलता नहीं मिल पाई है। कॉलर लगाने वाली टीम ने अब थक-हारकर एक सप्ताह बाद फिर नई रणनीति के तहत रेडियो कॉलर लगाने का विचार बनाया है। जनवरी माह में भेल से सटे राजाजी टाइगर रिजर्व में टस्कर आतंक का पर्याय बन चुका था। उस टस्कर ने कई लोगों पर हमला करने के साथ ही दो लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद वन विभाग ने हाथी पर नजर रखने के लिए उस पर रेडियो कॉलर आईडी लगाई थी। वही डीएफओ हरिद्वार आकाश शर्मा ने बताया कि झिलमिलझिल में रह रहे बारह¨सघा एकांत जीवन पसंद करते हैं। इंसान की झील में आवाजाही होते ही वह चौकन्ने हो जाते हैं। पिछले कई दिनों से लगातार उनको पकड़ने के लिए झील में इंसानों की संख्या अन्य दिनों की अपेक्षा काफी ज्यादा रही। फिलहाल रेडियो कॉलर लगाने की योजना को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है। (संसू)