योग के नियमित अभ्यास से व्यक्ति बन जाता है निरोगी
संवाद सहयोगी, हरिद्वार: मां गंगा के तट पर संत महापुरुषों का आशीर्वाद बड़े सौभाग्य से प्राप्त होता है।
संवाद सहयोगी, हरिद्वार: मां गंगा के तट पर संत महापुरुषों का आशीर्वाद बड़े सौभाग्य से प्राप्त होता है। क्योंकि संत ही भगवान का दूसरा स्वरूप कहलाते हैं। उक्त उद्गार श्री जयदेव योग आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी जयदेवानंद सरस्वती महाराज ने आश्रम के वार्षिकोत्सव पर आयोजित संत समागम में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि योग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। योग के नियमित अभ्यास से व्यक्ति के शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है और वह स्वस्थ और निरोगी होकर सुखमय जीवन व्यतीत करता है। इसलिए योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
संत समागम की अध्यक्षता करते हुए आचार्य स्वामी विशोकानंद भारती महाराज ने कहा कि भारत ऋषि मुनियों की तपस्थली है। भारतीय ऋषि मुनियों ने योग एवं ध्यान के माध्यम से संपूर्ण समाज को नई प्रेरणा दी है। स्वामी जयदेवानंद सरस्वती महाराज ने सनातन परंपराओं का निर्वाह करते हुए भारतीय संस्कृति का जो रूप विश्व पटल पर प्रस्तुत किया है। वह सराहनीय है। स्वामी आनंद चैतन्य महाराज ने कहा कि संतों का कार्य समाज में सद्भाव का वातावरण बनाकर सन्मार्ग की प्रेरणा देना होता है। क्योंकि शिव स्वरूप संत ही भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। स्वामी रामेश्वरांनद सरस्वती महाराज ने कहा कि संत का जीवन निर्मल जल के समान होता है। सच्चा संत वही कहलाता है जो अपने भक्तों के कल्याण के लिए ईश्वर के नाम की आराधना करता है। स्वामी कमलानंद गिरी महाराज ने कहा कि मनुष्य को जीवन में सदा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। सत्य का मार्ग ऐसा मार्ग है। जिस पर चलने से मनुष्य की हमेशा विजय होती है। इस अवसर पर स्वामी कमलानंद गिरी, स्वामी रामेश्वरानंद, साध्वी सुमन भारती, महंत दुर्गादास, महंत मोहन ¨सह, महंत तीरथ ¨सह, संत जगजीत ¨सह, महंत विनोद महाराज, महंत सूरजदास, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेशदास आदि उपस्थित रहे।