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पर्वतीय क्षेत्रों में पर्याप्त पानी व आजीविका के साधन हों उपलब्ध

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की की ओर से देश के पर्वतीय क्षेत्रों के लिए जल सुरक्षा विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 08:03 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 08:03 PM (IST)
पर्वतीय क्षेत्रों में पर्याप्त पानी व आजीविका के साधन हों उपलब्ध
पर्वतीय क्षेत्रों में पर्याप्त पानी व आजीविका के साधन हों उपलब्ध

जागरण संवाददाता, रुड़की : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की की ओर से देश के पर्वतीय क्षेत्रों के लिए जल सुरक्षा विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें विशेषज्ञों ने देश-दुनिया को जल संकट से निजात दिलाने और कोविड-19 की परिस्थितियों में पर्वतीय क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को लेकर विचार-विमर्श किया।

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रीजनल कोऑर्डिनेटिग इंस्टीट्यूट-उन्नत भारत अभियान और आइआइटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग ने संयुक्त रूप से वेबिनार में देश के 12 राज्यों से 163 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। वेबिनार में पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने पहाड़ी क्षेत्रों में जल सुरक्षा के लिए प्रकृति आधारित समाधान विषय पर विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि पानी के संरक्षण, संवर्धन तथा उपयोग में प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके लिए भारत की प्राचीनतम ज्ञान प्रणाली तथा आधुनिक विज्ञान का समन्वित प्रयास होना चाहिए। तभी हम देश व दुनिया को जल संकट से निजात दिला सकते हैं।

आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि जल सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए हमें इकोलॉजी व इकोनॉमी दोनों को ध्यान में रखना होगा। तभी हम इस क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं। आइआइटी रुड़की के उप निदेशक प्रो. एम परिदा ने कोविड-19 की परिस्थितियों में पर्वतीय क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता के साथ-साथ बाहर से आने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिए आजीविका के साधन उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता पर भी ध्यान दिए जाने की बात कही। जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एमएल कंसल ने पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कोविड-19 के तहत सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल के मुद्दे पर पावर प्वाइंट स्लाइड्स के माध्यम से जानकारी प्रदान की। प्रो. दीपक खरे ने जल संरक्षण व संवर्धन दोनों को साथ-साथ किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। नेशनल कोऑर्डिनेटिग इंस्टिट्यूट-आइआइटी दिल्ली के को-कोऑर्डिनेटर प्रो. विवेक कुमार ने कहा कि रीजनल कोऑर्डिनेटिग इंस्टिट्यूट-आइआइटी रुड़की की गतिविधियां देश के अन्य सभी क्षेत्रीय समन्वय संस्थानों में नंबर एक पर हैं। उन्नत भारत अभियान क्षेत्रीय समन्वय संस्थान-आइआइटी रुड़की के समन्वयक प्रो. आशीष पांडेय ने वेबिनार को आयोजित करने का उद्देश्य के बारे में जानकारी दी।

इसमें अरुणाचल प्रदेश से प्रो. प्रदीप लिग्फा, केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर से डॉ. आफाक आलम खान, डॉ. हरवीर सिंह चौधरी, त्रिपुरा से डॉ. रंजीत प्रसाद, प्रो. एसके मिश्रा, प्रो. आरडी सिंह, डॉ. सुमित सेन सहित अन्य प्रतिभागी शामिल हुए। 163 प्रतिभागियों ने किया प्रतिभाग

वेबिनार में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड तथा पूर्वोत्तर भारत के अंडमान तथा निकोबार द्वीप, अरुणाचल प्रदेश, असम, दमन एवं दीव मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पुडुचेरी, सिक्किम त्रिपुरा सहित देश के 12 राज्यों से 163 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। जिनमें मुख्य रूप से इन राज्यों के उन्नत भारत अभियान कार्यक्रम के समन्वयकों ने प्रतिभाग किया।


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