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फर्जी वसीयत बनाने वाले आरोपित को नहीं मिली जमानत

फर्जी वसीयत में मकान को मस्जिद बताकर ज्वालापुर की एक निजी संपत्ति हड़पने का प्रयास करने वाले आरोपित की जमानत अर्जी प्रभारी सत्र न्यायाधीश पारुल गैरोला ने खारिज कर दी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 08:15 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 08:15 PM (IST)
फर्जी वसीयत बनाने वाले आरोपित को नहीं मिली जमानत
फर्जी वसीयत बनाने वाले आरोपित को नहीं मिली जमानत

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: फर्जी वसीयत में मकान को मस्जिद बताकर ज्वालापुर की एक निजी संपत्ति हड़पने का प्रयास करने वाले आरोपित की जमानत अर्जी प्रभारी सत्र न्यायाधीश पारुल गैरोला ने खारिज कर दी।

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बीते 10 मार्च को ज्वालापुर कैथवाड़ा निवासी जावेद आलम ने आरोपित अब्दुल हफीज निवासी बाजेशाह पीर वाली गली थाना जनकपुरी जिला सहारनपुर और उसके बेटों मुस्तफा उर्फ मुन्ना व मुज्तबा उर्फ हीरो के खिलाफ ज्वालापुर कोतवाली में एक मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें बताया गया था कि उसके भाई का मकान हड़पने के लिए अब्दुल हफीज ने फर्जी वसीयत तैयार कर घर की जगह को मस्जिद और खुद को उसका मुतवल्ली बताते हुए देहरादून वक्फ बोर्ड में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया। मामले की जांच उपनिरीक्षक दीपक चौधरी ने की। विवेचना में पाया गया कि जिस वसीयत का इस्तेमाल अब्दुल हफीज ने असली बताकर किया है, उसका कोई प्रमाण नहीं है। इस मामले में आरोपित की तरफ से उसके अधिवक्ता प्रवीण कुमार ने आरोपों को गलत बताया। जबकि, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी इंद्रपाल बेदी और वादी की ओर से अधिवक्ता दिनेश वर्मा व सलमान अहमद ने न्यायालय में बताया कि आरोपित अब्दुल हफीज ने फर्जी वसीयत के आधार पर मस्जिद दर्शा कर संपत्ति हड़पने का प्रयास किया है। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि अब्दुल हफीज ने कूटरचना कर फर्जी वसीयत तैयार कर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड में इस्तेमाल किया और मकान को मस्जिद बताकर खुद को उसका मुतवल्ली बताया है। कोर्ट ने माना है कि आरोपित के जमानत पर छूटने से गवाहों को डराने धमकाने का अंदेशा है, जिस कारण जमानत का कोई आधार नहीं है। दोनों पक्षों के तर्कों को सुनकर प्रभारी सत्र न्यायाधीश पारुल गैरोला ने अब्दुल हफीज की जमानत याचिका खारिज कर दी।


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