अभाविप ने की पिछली हार की भरपाई
विनोद श्रीवास्तव, हरिद्वार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस बार जिले में छात्र संघ चुनाव को सीध
जागरण संवाददाता, हरिद्वार
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस बार जिले में छात्र संघ चुनाव को सीधे तौर पर अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था। गुरुकुल कांगड़ी और उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में पिछली बार अध्यक्ष पद पर मिली हार की टीस पूरे साल परिषद के पदाधिकारियों को सालती रही थी। इस बार इन जगहों पर अन्य पदों के साथ अध्यक्ष पद पर हर हाल में जीत दर्ज करने के लिए परिषद के जिला संयोजक मोहित चौहान, नवीन पंत, तरूण चौहान, करन वर्मा आदि ने शुरू से ही बिसात बिछानी शुरू कर दी थी और अध्यक्ष पद पर जीत भी हासिल की।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में पिछले साल अभाविप के प्रत्याशी तरूण चौहान कड़े मुकाबले में स्वतंत्र उम्मीदवार विक्रम भुल्लर से हार गए थे। विक्रम भुल्लर को भाजपा के ही एक विधायक का खुला समर्थन था। ऐसे में अपने प्रत्याशी की हार के बाद परिषद के पदाधिकारियों ने सत्ताधारी दल से जुड़े उस विधायक के खिलाफ सड़क पर उतर कर मोर्चा खोल दिया था। जैसे-तैसे मामला शांत हुआ। बदली परिस्थितियों में इस बार निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष विक्रम भुल्लर भी अभाविप के समर्थन में खुलकर आ गए थे। अध्यक्ष पद की जीत को उन्होंने भी खुद से जोड़कर दिन-रात मेहनत करने में पसीना बहाया। वहीं जिला संयोजक आदि ने हर दिन कैंपस की पल-पल की गतिविधियों पर निगाह जमाकर परिषद की जीत की भूमिका तय करते रहे। प्रांत पदाधिकारियों ने भी समय-समय पर इसमें खूब सहयोग किया। परिषद ने गुरुकुल कांगड़ी विवि में जीत दर्ज करने के लिए प्रत्याशियों का पैनल घोषित कर जिम्मेदारी तय कर दी। इसका नतीजा रहा कि शाम ढलने पर जैसे ही परिणाम की घोषणा हुई विवि में अध्यक्ष पद पर राहुल शर्मा की जीत से अभाविप का परचम लहरा गया। वहीं दीपक कुमार प्रजापति की जीत से उपाध्यक्ष पद पर कब्जा बरकरार रहा। पिछली बार भी उपाध्यक्ष पद पर अभाविप के गो¨वद पंवार ने जीत दर्ज की थी। इन दोनों पदों पर जीत से परिषद के पदाधिकारियों व समर्थकों को ढोल नगाड़े बजाकर जीत का जश्न मनाने का अवसर मिल गया।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक मोहित चौहान का कहना है परिषद के पदाधिकारियों की जीत सभी छात्रों और परिषद के विचारधारा की जीत है। कुछ पदों पर सफलता नहीं मिल पाई इसका अफसोस है। जो भी पदाधिकारी जीते हैं छात्र हितों को लेकर उनको पूरा सहयोग मिलेगा। परिषद की प्राथमिकता छात्रहित को आगे बढ़ाना है। जिले के अलावा प्रदेश के अन्य कालेजों, विश्वविद्यालयों में मिली जीत से साफ है कि छात्र हितों के लिए अभाविप ही काम कर रहा है।