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जानें कौन हैं बलवीर पुरी, जिन्हें श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में उत्तराधिकारी के तौर पर किया गया पेश

Know who is Mahant Balveer Puri महंत बलवीर पुरी श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के विश्वासपात्र रहे। वह वर्ष 1998 में निरंजनी अखाड़े के संपर्क में आए थे। श्रीमहंत से उनका संपर्क वर्ष 2001 में हुआ। उस वक्त श्रीमहंत नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के कारोबारी महंत थे।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 02:35 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 09:40 PM (IST)
जानें कौन हैं बलवीर पुरी, जिन्हें श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में उत्तराधिकारी के तौर पर किया गया पेश
जानें कौन हैं बलवीर पुरी, जो श्नीमहंत नरेंद्र गिरि के थे बेहद करीब।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Know who is Mahant Balveer Puri  श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के करीबी शिष्यों में शामिल महंत बलवीर पुरी उनके विश्वासपात्र रहे। वह वर्ष 1998 में निरंजनी अखाड़े के संपर्क में आए थे। श्रीमहंत से उनका संपर्क वर्ष 2001 में हुआ। उस वक्त श्रीमहंत नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के कारोबारी महंत थे।

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बलवीर पुरी ने अखाड़े में श्रीमहंत के संपर्क में आने के बाद दीक्षा ग्रहण कर उनके शिष्य हो गए थे। इसके बाद बलवीर पुरी उनके घनिष्ठ और विश्वासपात्र सहयोगी के तौर पर आगे बढ़ते चले गए। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि जब निरंजनी अखाड़े की ओर से बाघम्बरी गद्दी के पीठाधीश्वर बन कर प्रयागराज (तब इलाहाबाद) गए तो बलवीर पुरी भी उनके साथ वहां चले गए।

सहयोगी के तौर पर श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपी उन्होंने पूरी कर्मठता और निष्ठा से उसे निभाया। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की उन पर निर्भरता और विश्वास इस कदर था कि कुंभ और बड़े पर्व के दौरान अखाड़े और मठ की ओर से खर्च को आने वाले लाखों रुपये उनके पास ही रहते थे और उन्हीं की देखरेख में इससे खर्च किया जाता था। इस साल हुए हरिद्वार कुंभ के दौरान भी उन्होंने इस भूमिका की निभाया।

महंत बलवीर पुरी श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के साए की तरह हर वक्त उनके साथ रहते थे। वर्ष 2019 में हुए प्रयागराज अर्द्धकुंभ में भी बलवीर पुरी ने अखाड़े की तरफ से अहम भूमिका निभाई थी। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि और निरंजनी अखाड़े ने कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए उन्हें हरिद्वार के विख्यात शिवालय बिल्केश्वर महादेव के संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी।

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हालांकि, वह अखाड़े के किसी महत्वपूर्ण पद पर नहीं थे पर, उनकी सेवाएं और निष्ठा के चलते अखाड़े ने उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके बाद से ही बलवीर पुरी और श्रीमहंत नरेंद्र गिरि का साथ छूट गया। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के हरिद्वार प्रवास के दौरान बलवीर पुरी उनकी सेवा में पहुंच जाते थे। श्रीमहंत की मौत के बाद सामने आए सुसाइड नोट में उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने के योग्य बताते हुए उत्तराधिकारी के तौर पर पेश भी किया।

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