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इच्छाओं की पूर्ति और चिरयौवन प्रदान करने वाला है पारिजात : अवधेशानंद

देवलोक से धरती पर लाया गया पावन पवित्र पारिजात वृक्ष समस्त कामनाओं व इच्छाओं की पूर्ति करने वाला है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 09:32 AM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 09:32 AM (IST)
इच्छाओं की पूर्ति और चिरयौवन प्रदान करने वाला है पारिजात : अवधेशानंद
इच्छाओं की पूर्ति और चिरयौवन प्रदान करने वाला है पारिजात : अवधेशानंद

हरिद्वार, जेएनएन। देवलोक से धरती पर लाया गया पावन पवित्र पारिजात वृक्ष समस्त कामनाओं व इच्छाओं की पूर्ति करने वाला है। वेद-पुराणों में देवऋषियों के वृक्ष के तौर पर उल्लिखित पारिजात अपनी इन्हीं खूबियों के कारण देवताओं को अतिप्रिय है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसे स्वर्ग से लाकर धरती पर लगाया गया था। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि बताते हैं कि नरकासुर के वध के बाद भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के साथ स्वर्ग गए तो वहां देवराज इंद्र ने उन्हें पारिजात का पुष्प भेंट किया। वहां से लाकर श्रीकृष्ण ने इसे धरती पर रोपा था।

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बताया कि इसके बाद से ही धरती पर इसकी उत्पत्ति आरंभ हुई। महादेव और गणेश को इसके फूल अत्यंत प्रिय हैं। लक्ष्मी और शिव पूजन में इसका अत्याधिक महत्व माना गया है। यह सहज एवं सरल उपलब्ध नहीं है। आयुर्वेद में भी पारिजात का उल्लेख है। वेद-पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जो 14 रत्न निकले थे, उनमें पारिजात भी एक था, जिसे कल्पवृक्ष की संज्ञा दी गई। कथा है कि उस सयम यह वृक्ष देवराज इंद्र को दे दिया गया था, जिसे वह अपने साथ देवलोक ले गए और अपनी वाटिका में रोप दिया। पद्म पुराण और हरिवंश पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है। 

बुधवार को अयोध्या से 'दैनिक जागरण' के साथ फोन पर हुई बातचीत में स्वामी अवधेशानंद गिरि ने बताया कि वेद-पुराण व पौराणिक ग्रंथों के अनुसार पारिजात वृक्ष को अलौकिक शक्तियां प्राप्त हैं और यह शुद्ध-सात्विक अंत:करण, सच्चे मन से अपनी शरण में आए व्यक्ति की समस्त इच्छाओं व कामनाओं की पूर्ति कर देता है। उन्हें चिरयौवन प्रदान करता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण पारिजात वृक्ष में सकारात्मक ऊर्जा के अपार भंडार की पुष्टि करता है। जिससे उसके विशेष गुणों को मान्यता मिलती है। 

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पारिजात वृक्ष की इन्हीं खूबियों को लेकर कथा है कि भगवान श्रीकृष्ण ने एक बार पारिजात वृक्ष का फूल देवी रुक्मिणी को भेंट स्वरूप दे दिया, जिससे उन्हें चिरयौवन प्राप्त हुआ। देवर्षि नारद ने यह बात देवी सत्यभामा तक पहुंचा दी। यह सुन वह क्रोधित हो उठीं और भगवान से पारिजात का वृक्ष लाने की जिद करने लगीं। स्वामी अवधेशानंद गिरि बताते हैं कि देवलोक के दैवीय गुणों से युक्त पारिजात की महिमा और गुण अपरंपार है। यह औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। यही वजह है कि इसकी पूजा की जाती है। वेदों में इस बात का भी उल्लेख है कि पारिजात का वृक्ष जहां होता है, वहां कभी सूखा नहीं पड़ता। पारिजात का वृक्ष पर्यावरण एवं मानव जीवन के लिए बहुपयोगी है।

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