Positive India: आइआइटी रुड़की ने शुरू किया ऑनलाइन शिक्षण कार्य, पढ़िए पूरी खबर
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की ने लॉकडाउन की अवधि में इंटरनेट पर छात्रों के साथ डिजिटल सामग्री साझा कर शिक्षण कार्य दोबारा शुरू कर दिया है।
रुड़की, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की ने लॉकडाउन की अवधि में इंटरनेट पर छात्रों के साथ डिजिटल सामग्री साझा कर शिक्षण कार्य दोबारा शुरू कर दिया है। कोविड-19 महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन के कारण कक्षाएं बंद होने पर संस्थान ने यह कदम उठाया है।
लॉकडाउन से आइआइटी रुड़की समेत तमाम शिक्षण संस्थानों में कक्षाएं बंद हैं। ऐसे में शिक्षण गतिविधियों को जारी रखने के उद्देश्य से संस्थान ने संकाय सदस्यों को दूरस्थ शिक्षा प्रदान करने के विभिन्न विकल्प दिए हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि पाठ्यक्रम के विभिन्न भाग अलग-अलग डिजिटल प्रारूपों के अनुकूल हैं। संकाय सदस्यों को शिक्षण को यथासंभव प्रभावी बनाने के लिए लाइव वीडियो, इंटरेक्टिव लाइव वीडियो, वीडियो फाइल, पीपीटी, आवाज या पाठ टिप्पणी के साथ पीडीएफ, डॉक, जेपीजी मोड का लाभ उठाने के लिए कहा गया है।
आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि डिजिटल सामग्री को साझा करने के दौरान जरूरी नहीं कि यह लाइव या इंटरेक्टिव हो। छात्र अपनी सुविधानुसार उस सामग्री का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होंगे। छात्रों के प्रश्न और संदेह का जवाब देने के लिए नियमित इंटरेक्टिव चैट/वीडियो/ ई-मेल आधारित सत्र आयोजित किए जा सकते हैं। जहां तक संभव हो लाइव सेशन का आयोजन उस स्लॉट में किया जाएगा, जो वर्तमान सेमेस्टर की समय सारिणी में उस खास पाठ्यक्रम को दिया गया है। निदेशक के अनुसार पूर्ण या आंशिक शुल्क माफी पाने वाले छात्रों को बेहतर इंटरनेट सेवा प्राप्त करने के लिए 500 रुपये की मदद प्रतिपूर्ति के रूप में मिलेगी। सामान्य सेमेस्टर गतिविधि शुरू होने के बाद वे इस प्रतिपूर्ति का लाभ उठा सकते हैं।
इन विकल्पों का किया जा सकता है उपयोग
- गूगल क्लासरूम, वेबेक्स, जूम, माइक्रोसॉफ्ट टीम के माध्यम से रियल-टाइम लेक्चर।
- एनपीटीईएल आदि पर उपलब्ध उन सामग्रियों की मैपिंग, जिन्हें विशिष्ट वीडियो लेक्चर से पढ़ाया जाना है।
- आवाज/पाठ टिप्पणी के साथ या उसके बिना पीपीटी/पीडीएफ साझा करना।
- फैकस्पेस या चैनल पर सामग्री अपलोड करना।
- सामग्री साझा करने और संदेश भेजने के लिए वाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर का उपयोग।
- संबंधित सोर्स, लेक्चर नोट, बुक चैप्टर, असाइनमेंट, प्रजेंटेशन, केस स्टडी आदि को साझा करना। अगर कोई सामग्री डिजिटल प्रारूप में नहीं है तो स्कैन करके उसका डिजिटल प्रारूप प्राप्त किया जा सकता है। फोन की मदद से फोटो लेकर स्कैनिंग आसानी से की जा सकती है।
- कोई अन्य डिजिटल प्रारूप जो सुविधाजनक हो।
बच्चों का मनोरंजन और भाषाई विकास
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की-इनक्यूबेटेड स्टार्टअप लॉकडाउन के दौरान इंटरेक्टिव बुक्स पढ़ने की सुविधा प्रदान करेगा। इसका उद्देश्य बच्चों का मनोरंजन करना तथा उनमें भाषाई कौशल का विकास करना है। कॉमिक्स छह भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, तेलगू, कन्नड़, बंगला और मराठी में उपलब्ध हैं।
कोविड-19 महामारी के कारण स्कूल-कॉलेज बंद हैं। वहीं कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के कारण बच्चे खेलने के लिए बाहर भी नहीं जा सकते हैं। ऐसे में बच्चों के लिए इस समय का सदुपयोग करना जरूरी है। बच्चों के मनोरंजन के साथ ही उनके भाषाई कौशल को निखारने के लिए आइआइटी रुड़की की ओर से पहल की गई है। टेक्नोलॉजी इन्क्यूबेशन एंड आन्त्रेप्रेन्योर डेवलपमेंट सोसाइटी (टीआइईडीएस) समर्थित आइआइटी रुड़की-इनक्यूबेटेड स्टार्टअप टीबीएस प्लानेट कॉमिक्स स्टूडियो बच्चों का मनोरंजन करने के लिए निश्शुल्क इंटरेक्टिव कॉमिक्स की व्यवस्था कर रहा है।
टीबीएस प्लानेट कॉमिक्स स्टूडियो के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव ताम्हणकर ने बताया कि यह पहल हमारे पाठकों के लिए क्यूरेटेड अनुभवों को उपलब्ध कराने की हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप है। यह बच्चों को व्यस्त रखेगा जिससे घर से काम कर रहे माता-पिता अपना काम बिना किसी गतिरोध के कर पाएंगे। उनके अनुसार इंटरेक्टिव कॉमिक्स बच्चों को उन खेलों को खेलने में सक्षम बनाता है जहां वे एक चरित्र की भूमिका निभा सकते हैं और कहानी में अपनी ओर से चुने गए विकल्पों के अनुसार एडवेंचर कर सकते हैं। ये कॉमिक्स लिंक www.tbpsplanet.com/en/read पर छह विधाओं- एक्शन सुपरहीरो, कॉमेडी, हॉरर, पौराणिक कथाओं, इतिहास और नैतिक कहानियों में उपलब्ध हैं।
यह भी पढ़ें: Uttarakhand Lockdown Update: अभिभावक बने शिक्षक, मोबाइल को किताब बना पढ़ा रहे बच्चों को
प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी (निदेशक आइआइटी रुड़की) का कहना है कि संस्थान के एक छात्र की ओर से इस खास पहल के लिए आगे आना सराहनीय कार्य है। इससे बच्चे वर्तमान लॉकडाउन के दौरान व्यस्त रहेंगे। यह कदम बच्चों को अवकाश के इन दिनों में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
यह भी पढ़ें: Coronavirus: उत्तराखंड में चिकित्सकों के 572 पदों को भरने की तैयारी शुरू