वेद सभी ललित कलाओं का मूल
जागरण संवाददाता हरिद्वार गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में संस्कृत महोत्सव क
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में संस्कृत महोत्सव के दूसरे दिन संस्कृतवाड्मय में संस्कृत विद्वानों ने शिल्प विद्या, ललित कला विषय के बारे में जानकारी दी।
शुक्रवार को विवि के ऑडिटोरियम में आयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के उदघाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य प्रोफेसर मानसिंह ने वैदिक वाड्मय में उपलब्ध विभिन्न कलाओं के बारे में बताया। वेद की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि वेद सभी ललित कलाओं का मूल है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर वीके शर्मा ने वेदों में शिल्प व भवन निर्माण के बारे में बताया। विशिष्ट व्याख्यानदाता काशी विश्वविद्यालय के भूतपूर्व आचार्य प्रोफेसर दीनबन्धु पांडेय ने अशोक के चतुर्मुख सिंह स्तंभ का मूल भारतीय शिल्पकला के बारे में बारीकी से जानकारी दी। पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के प्रोफेसर वीरेन्द्र अलंकार ने समरांगणसूत्रधार के आधार पर शिल्पकलाओं की जानकारी दी। दूसरे सत्र की अध्यक्षता इतिहास विभाग के प्राध्यापक प्रोफेसर देवेंद्र कुमार गुप्ता व मंच संचालन प्रोफेसर संगीता विद्यालंकार ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर ईश्वर भारद्वाज, प्रोफेसर मनुदेव बंधु, डॉ. दीनदयाल, डा. वेदव्रत, डॉ. सत्यपति, डा.ॅ पवन, राहुल, नेहा, किरण, नन्दनी, पल्लवी आदि मौजूद रहे।