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अस्पताल की व्यवस्था को चाहिए स्थाई समाधान

जागरण संवाददाता हरिद्वार जिले में डॉक्टरों खासकर विशेषज्ञों की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं खुद व

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 06:48 AM (IST)
अस्पताल की व्यवस्था को चाहिए स्थाई समाधान
अस्पताल की व्यवस्था को चाहिए स्थाई समाधान

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: जिले में डॉक्टरों खासकर विशेषज्ञों की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं खुद वेंटीलेटर पर हैं। डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए वैकल्पिक उपाय से कुछ भला नहीं होने वाला है। इसके लिए स्थाई समाधान की जरूरत है। जब तक जिले में शासन स्तर से डॉक्टर नहीं आएंगे तब तक एक अस्पताल के डॉक्टर को खाली चल रहे अस्पताल में तीन दिन बैठाने से समस्या सुधरने वाली नहीं है।

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जिले में वर्तमान में दो सौ डॉक्टरों के पद के सापेक्ष केवल 62 डॉक्टर तैनात हैं। जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में भी डॉक्टर न होने से मरीजों को निजी अस्पतालों या फिर देहरादून, दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ रही है। पिछले दिनों स्वास्थ्य सचिव की समीक्षा बैठक में भी डॉक्टरों की कमी पर चिता तो जताई गई, लेकिन समाधान नहीं निकालने की कोशिश हुई। पिछले सप्ताह नीति आयोग की जिले की प्रभारी और केंद्र में संयुक्त सचिव ज्योत्सना स्टिालिंग ने भी कलक्ट्रेट में बैठक के दौरान डॉक्टरों की कमी दूर करने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि बगैर डॉक्टर स्वास्थ्य सेवा की सेहत खुद नहीं सुधरने वाली ह, तो मरीजों का इलाज कैसे होगा। इसको देखते हुए शासन से डॉक्टर न मिलने के चलते सीएमओ ने 26 अतिरिक्त पीएचसी के चिकित्साधिकारियों को रोस्टर अनुरूप सप्ताह में तीन दिन दूसरे केंद्रों पर जाकर इलाज को कहा है। इससे जहां व्यवस्था ठीक चल रही थी, लेकिन तीन दिन उनकी मूल तैनाती पर व्यवस्था लड़खड़ानी तय है। फौरी तौर के प्रयास से न तो मरीजों का भला होने वाला है और न ही विभाग का हाल ठीक होगा।

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मेला अस्पताल में इलाज बदहाल

सौ बेड का राजकीय मेला अस्पताल 2004 में स्थापना से लेकर अब तक डाक्टरों के कमी से जूझ रहा है। कुंभ, अ‌र्द्धकुंभ के दौरान अस्थाई तौर पर कुछ डॉक्टर यहां भेज तो दिए जाते हैं, लेकिन कुंभ बीतने पर अस्पताल फिर वीरान स्थिति में आ जाता है। यहां पर ईएमओ न होने से दिन में फार्मासिस्ट के भरोसे इमरजेंसी में मरहम पट्टी हो जाती है, लेकिन शाम ढलते ही ताला जड़ दिया जाता है। यहां पर अधीक्षक, निश्चेतक, बालरोग विशेषज्ञ, आर्थो सर्जन, चर्मरोग विशेषज्ञ, फिजिशियन, कार्डियोलाजिस्ट, सर्जन, ईएमओ के तीन पद खाली पड़े हैं।

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ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं वेंटीलेटर पर

ग्रामीण क्षेत्रों में आठ में से चार पर तो स्थाई चिकित्साधीक्षक ही नहीं हैं। लंढौरा, ज्वालापुर सीएचसी पर एकमात्र चिकित्सक वह भी संविदा के भरोसे है। बहादराबाद, ज्वालापुर, खानपुर, लक्सर में स्थाई चिकित्साधीक्षक न होने से कार्यवाहक के भरोसे काम चल रहा है।

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शासन से नए या स्थानांतरित कर डॉ. आने तक जिले में मौजूद व्यवस्था से ही किसी तरह काम चलाना है। इसलिए अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों पर अल्टरनेट तारीखों में कई डॉक्टरों को दूसरे केंद्रों पर भी इलाज करने का आदेश दिया है। डॉक्टरों की डिमांड शासन से कर रहे हैं। मिलने पर उनकों रिक्तियों के क्रम में तैनात करेंगे।

डॉ. सरोज नैथानी, सीएमओ


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