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उत्तरी हरिद्वार की डेढ़ लाख आबादी को अस्पताल का इंतजार

जागरण संवाददाता हरिद्वार संत बाहुल्य उत्तरी हरिद्वार की करीब डेढ़ लाख की आबादी को अभी

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 03:03 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 06:36 AM (IST)
उत्तरी हरिद्वार की डेढ़ लाख आबादी को अस्पताल का इंतजार
उत्तरी हरिद्वार की डेढ़ लाख आबादी को अस्पताल का इंतजार

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: संत बाहुल्य उत्तरी हरिद्वार की करीब डेढ़ लाख की आबादी को अभी भी सरकारी अस्पताल का इंतजार है। 2016 में पावन धाम आश्रम के सामने संतों ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर अस्पताल को लेकर आंदोलन भी किया था। नगर निगम की ओर से जमीन का प्रस्ताव देने के बाद भी न तो तत्कालीन कांग्रेस सरकार और न वर्तमान की भाजपा सरकार इस दिशा में कदम बढ़ा रही है। कांवड़ मेले के अलावा स्नान पर्वों में भी इस क्षेत्र में भारी भीड़ जुटने से लोग घरों में कैद होकर रह जाते हैं। ऐसे में आकस्मिकता की स्थिति में मरीजों को जिला अस्पताल पहुंचने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। कांवड़ मेले में फिर इस क्षेत्र की आबादी को स्वास्थ्य सुविधा के लिए फजीहत झेलनी तय है।

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उत्तरी हरिद्वार क्षेत्र से नगर निगम के वार्डों की गिनती शुरू होती है। वार्ड एक सप्तऋषि से लेकर वार्ड नंबर सात क्षेत्र की लाखों की आबादी को इस क्षेत्र में सरकारी अस्पताल की दरकार है। 2016 में अस्पताल निर्माण के लिए उत्तरी हरिद्वार विकास मंच के बैनर तले पावन धाम आश्रम के सामने नगर निगम की खाली जमीन पर संतों, नागरिकों, व्यापारियों अलावा स्थानीय पार्षद ने भी कई दिनों तक धरना प्रदर्शन किया। इसके बाद नगर निगम में भाजपा के तत्कालीन महापौर मनोज गर्ग ने भी बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित कराकर साढ़े तीन हजार वर्ग फुट जमीन देने का रास्ता साफ कर प्रस्ताव सरकार को भेजा। मगर कभी जमीन की कमी तो कभी स्वास्थ्य विभाग के मानकों का हवाला देकर फाइल आज भी धूल फांकती फिर रही है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के करीब सवा दो साल बाद भी इस प्रस्ताव को मंजूर करते हुए उत्तरी हरिद्वार में सरकारी अस्पताल बनाने की मंशा को पूरा नहीं किया गया।

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कांवड़ मेले के अलावा स्नान पर्व में होती है दिक्कत

उत्तरी हरिद्वार के लोगों को जिला अस्पताल आने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जाम और ऑटो सेवा न होने से भ्ीा उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ती है। कई बार गंभीर मरीज जिला अस्पताल आने की बजाय देहरादून जिले की सीमा में पड़ने वाले पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाने में भलाई समझते हैं। कुंभ, अ‌र्द्धकुंभ, कांवड़ मेला, स्नान पर्वों में इस क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों, संतों, महंतों के अलावा होटलों, आश्रमों में रहने वाले श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों की तबीयत बिगड़ने पर जिला अस्पताल पहुंचने में परेशानी होती है।

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उत्तरी हरिद्वार क्षेत्र में एक सरकारी अस्पताल की मांग लंबे समय से की जा रही है। सरकारें बदल रही हैं मगर सरकारी अस्पताल निर्माण की आस अभी भी अधूरी है। कांवड़ मेला में इस क्षेत्र में अस्पताल न होने से दुर्दशा झेलनी पड़ती है।

शिवदास दुबे, प्रबंधक, श्रीगीता कुटीर

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उत्तरी हरिद्वार क्षेत्र में सरकारी क्या कोई निजी अस्पताल भी नहीं है। यहां अस्पताल की बहुत जरूरत है। इस क्षेत्र के निवासियों के अलावा बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ने पर इलाज मिलना मुश्किल हो जाता है। धरना-प्रदर्शन के बाद भी सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।

महंत कमलदास, बड़ा अखाड़ा उदासीन

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उत्तरी हरिद्वार में एक सरकारी अस्पताल की बहुत जरूरत है। कांवड़ मेला हो या कुंभ अ‌र्द्धकुंभ इस दौरान आने वाली लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के समय इस क्षेत्र में आवागमन पूरी तरह ठप होने की स्थिति बन जाती है। इससे बीमारों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है। सरकार अस्पताल निर्माण को प्राथमिकता दे।

महंत शिवानंद भारती, उमेश्वर धाम

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संत बाहुल्य इस क्षेत्र में स्थानीय नागरिकों के अलावा देश विदेश से आने वाले तीर्थयात्री और श्रद्धालु भी हजारों की संख्या में हर दिन आते हैं। सरकारी अस्पताल न होने से कांवड़ मेला आदि के अलावा स्नान पर्वों में भी जिला अस्पताल आना टेड़ी खीर होता है।

अनिल मिश्र, भाजपा पार्षद वार्ड नंबर एक, सप्तऋषि


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