दृष्टिहीनों को शिक्षित करने का संकल्प
संवाद सहयोगी हरिद्वार नेत्रहीनता कोई अभिशाप नहीं है ईश्वर ने मानव अंग में यदि किसी प्रका
संवाद सहयोगी, हरिद्वार: दृष्टिहीनता कोई अभिशाप नहीं है, ईश्वर ने मानव अंग में यदि किसी प्रकार की कमी रखी है तो कोई न कोई विशेषता भी प्रदान की है, अवसर मिलने पर दिव्यांग अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने से पीछे नहीं हटते। उक्त विचार सप्तसरोवर मार्ग स्थित स्वामी अजरानंद अंध विद्यालय के संचालक स्वामी स्वयंमानंद महाराज ने विद्यालय के एक कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि 30 मई 1968 को स्थापित स्वामी अजरानंद अंध विद्यालय अपनी स्थापना के 51 वर्ष पूरे करने जा रहा है। स्वामी अजरानंद की ओर से स्थापित प्राइमरी स्कूल से लेकर हाई स्कूल तक के सफर में हजारों दृष्टिहीन एवं सामान्य बच्चे शिक्षा लेकर आत्मनिर्भर बन चुके हैं। विद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य रमेश कुमार ने कहा कि दिव्यांग बालकों के साथ सामान्य दृष्टिवान बालक बालिकाओं को भी कक्षा 1 से 10 तक निश्शुल्क शिक्षा, स्टेशनरी, एवं ड्रेस दी जाती है। इस वर्ष से नाममात्र का प्रवेश शुल्क भी समाप्त कर दिया गया है। इस अवसर पर डॉ. सीडी काला, गंगामाता आई हॉस्पिटल के पूर्व सचिव ओपी बंसल, पार्षद अनिल मिश्रा, अनिरूद्ध भाटी, भाजपा महिला मोर्चा की मंडल अध्य़क्ष अनीता वर्मा आदि मौजूद रहे।
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