लीकेज की समस्या बनी नासूर
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : जल है तो कल है.., जल ही जीवन है जैसे स्लोगन से आमजन को जल संर
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : जल है तो कल है.., जल ही जीवन है जैसे स्लोगन से आमजन को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने वाला महकमा खुद इसे लेकर गंभीर नहीं है। नासूर बनी लीकेज समस्या को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। दूषित पानी जहां लोगों को बीमार कर रही है, वहीं जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारियों से बचने को एक-दूसरे के सिर ठीकरा फोड़ रहे हैं। समस्या बढ़ने पर तत्काल लीकेज की मरम्मत कराई जाती है। लेकिन इसके लिए घंटों संबंधित क्षेत्रों की जलापूर्ति बंद की जाती है। आम शहरियों को बगैर पानी के रहना पड़ता है। समस्या के मूल में जाएं इसके लिए जर्जर लाईन जिम्मेदार है। कई लाईने सीवर चैंबर और नाले से होकर गुजरने के चलते जलजनित बीमारियों की भी वजह बनती है। जब तक पुरानी लाइनें बंद नहीं की जाती समस्या से स्थायी निजात संभव नहीं है।
जल निगम ने 2040 तक करीब सात लाख आबादी की जरूरत को ध्यान में रख पानी का इंतजाम किया था। 2010 में जेएनएनयूआरएम और कुंभ मेला निधि से संसाधनों पर करीब 81 करोड़ खर्च किए गए हैं। भारी भरकम धनराशि से 25 नलकूप, छह अंत: स्त्रोत कूप, नौ ओएचटी का निर्माण कराया गया। इन नये और पुराने नलकूपों से रोजाना 110 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है जबकि शहर की जरूरत 90 से 92 एमएलडी की है। मांग से ज्यादा पानी की आपूर्ति के बाद भी क्षेत्र विशेष में पानी का संकट हमेशा बना रहता है। आये दिन शहर के किसी न किसी क्षेत्र से जलापूर्ति बाधित रहने, लो प्रेशर और घरों में दूषित पानी की आपूर्ति की शिकायतें आती रहती हैं। इसकी तह में जाएं तो इसके लिये काफी हद तक जर्जर पेयजल लाइन जिम्मेदार है। दरअसल जलनिगम ने 2010 में पानी की नई लाइन तो बिछाई लेकिन पुरानी लाइन को बंद नहीं कराया। अधिकांश क्षेत्रों में अब भी उपभोक्ताओं के कनेक्शन पुरानी लाइन से ही हैं। जिसके जर्जर होने के चलते घरों में दूषित पानी पहुंच रहा है। इतना ही नहीं पेयजल निगम ने अब तक हाईवे की लाइन भी जलसंस्थान को हैंडओवर नहीं किया है। इसके चलते इन लाईनों में लीकेज की शिकायत पर जल संस्थान इसे जलनिगम की लाइन बता मरम्मत कराने से बचता है। महकमों की लड़ाई में आम शहरी पिस रहे हैं। लीकेज की शिकायत पर तत्काल इसकी मरम्मत कराई जाती है। नई लाइन से जलापूर्ति की जा रही है। वाहनों की आवाजाही, खुदाई आदि के चलते लाईनें क्षतिग्रस्त होती है। ज्वालापुर के कुछ क्षेत्रों में नई लाइन अभी नहीं बिछी है। नई लाइन डालने के लिये जनप्रतिनिधियों की ओर से प्रस्ताव आया तो इसे संबंधित एजेंसी तक भिजवा दिया जाएगा। नरेशपाल ¨सह, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान शहर के अंदरुनी हिस्सों की लाइनें दो साल पहले जलसंस्थान को हैंडओवर की जा चुकी है। हाईवे की लाइन शिफ्ट होते ही इसे भी जल संस्थान को हैंडओवर कर दिया जाएगा। आठ किमी की लाइन में करीब 3.5 किमी शिफ्ट हो भी चुकी है।
मोहम्मद मीसम, अधिशासी अभियंता, जलनिगम