आग से फसल के नुकसान पर नहीं मिलेगा बीमा
जागरण संवाददाता, रुड़की: इन दिनों कृषि विभाग गेहूं की फसल का शत-प्रतिशत बीमा कराने की तैयारी कर रहा ह
जागरण संवाददाता, रुड़की: इन दिनों कृषि विभाग गेहूं की फसल का शत-प्रतिशत बीमा कराने की तैयारी कर रहा है। किसानों को बीमा के लाभ बताए जा रहे हैं, लेकिन गेहूं की फसल में आग लगने पर उसका मुआवजा मिलने का कोई प्रावधान नहीं है। जबकि हरिद्वार जिले में आग से गेहूं की फसल को सबसे अधिक नुकसान होता है। इस साल भी 55 किसानों की करीब 350 बीघा फसल जलकर नष्ट हो गई थी।
इस समय जिले में गेहूं की बुआई चरम पर है। कृषि विभाग की मानें तो इस बार जिले में 44 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल की बुआई का अनुमान है। सही आंकड़े 20 दिसंबर के बाद ही कृषि विभाग जारी करेगा। वहीं शासन-प्रशासन का भी इस बात पर जोर है कि गेहूं की फसल का बीमा कराया जाएगा। इसके लिए कृषि विभाग लगातार किसानों को प्रेरित कर रहा है। इतना ही नहीं बीमा कंपनी की ओर से भी किसानों को बताया जा रहा है कि न्यूनतम प्रीमियम देकर वह फसल के खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई बीमा की राशि से कर सकेंगे। किसानों को बताया जा रहा है कि बाढ़, बारिश से उनकी फसलों को नुकसान पर बीमा दिया जाएगा, लेकिन जिले के अधिकांश किसान तब कृषि और बीमा कंपनी के अधिकारियों से आग के बारे में पूछ रहे हैं तो वह आग से फसल के नुकसान की भरपाई करने से हाथ ही खड़े कर दे रहे हैं। जबकि अग्निशमन विभाग के अप्रैल और मई के आंकड़ों पर गौर करें तो 55 आग लगने की घटनाएं रुड़की और भगवानपुर क्षेत्र में हुई हैं। 350 बीघा से अधिक की फसल आग के कारण स्वाह हुई। जबकि 2500 बीघा फसल को आग से बचाया गया है। आग का प्रकोप सबसे अधिक घाड़ क्षेत्र में दिखाई देता है।
बीमा कराने की यह भी है वजह
दो साल पहले जिले में गेहूं की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा था। बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं की फसल बर्बाद हो गई थी। इतना ही नहीं दुखी किसानों ने करौंदी, नन्हेड़ा अनंतपुर में गेहूं की खड़ी फसल में आग तक लगा दी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किसानों को न्यूनतम 1500 रुपये प्रति बीघा नुकसान की भरपाई करने की घोषणा की थी, लेकिन किसानों को मुआवजा देने में भी गड़बड़ी की गई। कुछ किसानों को तो 10 से 15 हजार रुपये तक का नुकसान हुआ, जबकि कुछ किसानों को मात्र एक हजार और 1500 रुपये ही मिले थे। इसको लेकर किसानों ने आंदोलन भी किया। इसके बाद सरकार ने किसानों को फसल का बीमा कराने के लिये सलाह देना शुरू कर दिया था।
'जो गाइड लाइन है, उसमें गेहूं की फसल में आग लगने पर बीमा राशि दिए जाने का प्रावधान नहीं है। इस बारे में निदेशालय को पत्र भेजा जाएगा और मांग की जाएगी कि आग लगने पर भी गेहूं की फसल को बीमित किया जाए।'
डॉ. वीके यादव, मुख्य कृषि अधिकारी हरिद्वार