लाख कोशिश, फिर भी आयुष चिकित्सकों की कमी
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: आयुष के विकास व संवर्धन का दंभ भरने वाली सरकार के दो मंत्रियों ने बेबाकी
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: आयुष के विकास व संवर्धन का दंभ भरने वाली सरकार के दो मंत्रियों ने बेबाकी से मंच पर स्वीकार किया कि प्रदेश में लाख कोशिश के बाद भी कभी पदों के सापेक्ष भर्तियां नहीं हो सकीं। हर कोशिश के बाद भी सूबे में आयुष चिकित्सकों के 2700 पदों के सापेक्ष एक हजार या 1100 पदों पर ही डॉक्टर तैनात हो पाए।
आयुष मंत्री डॉ. हरक ¨सह रावत और शहरी विकास मंत्री ने यह स्वीकारोक्ति ऋषिकुल आयुर्वेद परिसर में आयोजित कार्यक्रम में की। शहरी विकास मंत्री ने संबोधन में यह कहकर सच्चाई को स्वीकारा कि डॉ. हरक ¨सह रावत खुद शिक्षक रहे हैं। वे आयुष के विकास में हमेशा तल्लीन रहे। उनके नेतृत्व में आयुष ऊंचाईयों पर नहीं चढ़ा तो कभी नहीं चढ़ पाएगा। बोले सूबे में आयुष डॉक्टरों के तमाम पद रिक्त हैं। आयुष के खजाने का प्रदेश होने के बाद भी हकीकत यह है कि आयुष के लिए अस्पतालों में डॉक्टर ही नहीं हैं। सरकार लाख कोशिश कर रही है मगर अचानक से इतने डॉक्टर नहीं मिल सकते। उनकी बेबाक टिप्पणी को अपने भाषण में आयुष मंत्री ने और पुख्ता किया। हकीकत को आइना दिखाते हुए बोले प्रदेश में 2700 आयुष चिकित्सकों के पद सृजित हैं। हर कोशिश के बाद भी कभी भी प्रदेश में इन सभी पदों को नहीं भरा जा सका चाहे किसी पार्टी की सरकार रही हो कवायद के बाद भी 1000 या 1100 से अधिक पद कभी भरे नहीं जा सके।
वाक इन इंटरव्यू भी नहीं आया काम
आयुष मंत्री ने स्वीकार किया कि रिक्त पदों पर भर्ती के लिए वाक इन इंटरव्यू का भी सहारा लिया गया। मगर अस्पतालों में आयुष डॉक्टर बनने के लिए पर्याप्त आवेदक नहीं आए। इसका कारण मेरे विचार से यह रहा कि एलोपैथी की चकाचौंध में आयुष गुम हो रहा था। अब मंत्रालय अलग होने के बाद रुझान बढ़ा है।