1500 बीघा खेती को नहीं मिल रहा है पानी
लालढांग के रसूलपुर गांव में अधिकारियों को अनदेखी में कारण करीब पिछले अक्टूबर से किसानों को 1500 बीघा खेती को सिचाई का पानी नहीं मिल पा रहा है।
संवाद सूत्र, लालढांग: लालढांग के रसूलपुर गांव में अधिकारियों को अनदेखी में कारण करीब पिछले अक्टूबर से किसानों को 1500 बीघा खेती को सिचाई का पानी नहीं मिल पा रहा है। किसानों का आरोप है कि ट्यूबवेल से पानी लगाने में तय दर से कहीं अधिक कीमत चुकाने पर ही सिचाई करने को मजबूर होना पड़ता है।
लालढांग के रसूलपुर क्षेत्र के अधिकांश लोग खेती पर ही निर्भर हैं। यहां खेतों की सिचाई में लिए रवासन नदी के पानी के साथ ही कई ट्यूबवेल भी लगाए गए हैं। अधिकांश खेती की सिचाई रवासन नदी के पानी पर निर्भर है। किसानों का आरोप है कि उनके खेत जाने वाली सिचाई की गुल में पिछले अक्टूबर माह से पानी नहीं आ रहा है। सिचाई विभाग के अधिकारियों से कई बात पानी चढ़ाने के लिए छोटे तटबंध बनाने का अनुरोध किया गया, लेकिन इस ओर किसी ने सुध नहीं ली। किसान नवीन बडोला, दीपक उप्रेती ने बताया कि नाबार्ड के तहत क्षेत्र में सिचाई के लिए ट्यूबवेल लगाए गए हैं, लेकिन ट्यूबवेल से पानी लगाने के लिए 50 रुपये प्रति घंटे की कीमत अदा करनी पड़ती है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब तो ट्यूबवेल संचालक मनमर्जी से किसी भी किसान को कभी भी पानी दे देता है। पहले हर किसी किसान को पानी लगाने के लिए नंबर का इंतजार करना पड़ता था। जिसका नम्बर हो वही अपने खेत मे पानी ले जाया करता था, लेकिन अब जो ज्यादा कीमत दे रहा है। विकास उप्रेती, सुनील, लक्ष्मीदत्त, जोगेंदर उप्रेती सोहन बहुगुणा, रमेश बहुगुणा, दीपक उप्रेती, हरीश उप्रेती, हरीश बहुगुणा लॉक डाउन में गुल की मरम्मत कर खेतों तक पानी चलाने का प्रयास किया, लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिल पाई। अब खेत की सिचाई के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।