कहीं आपको भी तो बीमार नहीं कर रहा है मोबाइल, पढ़िए पूरी खबर
हर वक्त सिर झुकाकर मोबाइल स्क्रीन से चिपके रहने वाले लोगों को मोबाइल एडिक्ट की श्रेणी में रखा जा रहा है। इसके शिकार सभी वर्ग के लोग है।
देहरादून, जेएनएन। इंटरनेट के विस्तार और सोशल साइट के तिलिस्म ने लोगों को मोबाइल एडिक्ट बना दिया है। यह ऐसा नशा है जो इसमें जकड़े व्यक्ति को मदहोश नहीं करता लेकिन उसकी मनोदशा बिगाड़ देता है।
न्यूरो साइकोलॉजिस्ट डॉ. सोना कौशल गुप्ता का कहना है कि हर वक्त सिर झुकाकर मोबाइल स्क्रीन से चिपके रहने वाले लोगों को मोबाइल एडिक्ट की श्रेणी में रखा जा रहा है। इसके शिकार युवा और बुजुर्ग ही नहीं बल्कि 2 से 14 साल की आयु वर्ग के बच्चे व किशोर भी हैं।
कई नशों से बुरा है ये नशा
मोबाइल की वजह से बच्चों में नींद न आना, भूख की कमी, दिमाग पर बुरा असर और आंख खराब होने जैसी समस्यायें उत्पन्न होने लगती हैं। किसी व्यक्ति में इस लत के आने से पहले तक मोबाइल के किरदार को देखें, तो ये एक ऐसा माध्यम था जिसने जीवन को बिल्कुल ही सरल बना दिया था। किसी से बात करनी हो या कोई संदेश भेजना है तो यह काम झट से हो जाता है। लेकिन अब इसकी अति लोगों को बीमार बना रही है।
आक्रामक हो रहे बच्चे
मोबाइल का प्रयोग लोगों द्वारा इस हद तक किया जा रहा है कि उनकी आंखें भी शुष्क हो जा रही हैं। यदि बच्चों से मोबाइल ले लिया जाए या उन्हें मोबाइल प्रयोग करने से मना किया जाये तो वे आक्रामक हो रहे हैं। ऐसा भी देखा गया है कि मोबाइल गेम खेलने एवं अन्य कारण से बच्चे अवसाद की तरफ बढ़ रहे हैं।
स्कूल गोइंग बच्चों के लिए अलार्मिंग स्टेज
मोबाइल एडिक्शन का शिकार अधिकतर बच्चे स्कूल गोइंग हैं। वह लगातार मोबाइल से जूझते दिखाई देते हैं। इस कारण बच्चों और युवाओं में शारीरिक समस्याएं बढ़ रही हैं। डायबिटीज का खतरा, अनिद्रा, कब्ज, मोटापा, हाइपरटेंशन, आंखों में जलन, अस्थमा आदि आम है।
ये हैं लक्षण
- चिड़चिड़ापन
- भूख न लगना
- ज्यादा सोना या नींद न आना
- अवसाद
- पढ़ाई में मन न लगना
- हमेशा भय सताना
- सिर भारी होना
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