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योग की इन कलाओं से जुड़कर आप पा सकते हैं सुखी जीवन

योग न सिर्फ स्वस्थ और निरोगी काया का जरिया है बल्कि योग से जीवन सुखी भी होता है। अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में योग प्रशिक्षकों ने साधकों को सुखमय जीवन के सूत्र बताए।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 07 Mar 2018 02:03 PM (IST)Updated: Thu, 08 Mar 2018 10:45 AM (IST)
योग की इन कलाओं से जुड़कर आप पा सकते हैं सुखी जीवन
योग की इन कलाओं से जुड़कर आप पा सकते हैं सुखी जीवन

ऋषिकेश, [जेएनएन]: अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में योग प्रशिक्षकों ने साधकों को विभिन्न योग मुद्राओं के माध्यम से सुखमय जीवन के सूत्र बताए। सुबह से लेकर शाम तक अलग-अलग सत्रों में विश्वभर से पहुंचे योग साधक साधना में लीन रहे। 

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परमार्थ निकेतन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के छठे दिन सुबह चार बजे से ही गंगा तट पर योग कक्षाएं शुरू हो गई थीं। अमेरिका से आईं सिख योग गुरु एवं विश्व प्रसिद्ध योगाचार्य गुरुमुख कौर खालसा, गुरु शब्द हिंसा व किआ मिलर ने साधकों को कुंडलिनी योग का अभ्यास कराया। अमेरिका की ही प्रसिद्ध योगाचार्य केटी बी हैप्पी ने विन्यासा योग, परमार्थ निकेतन की सुश्री नंदिनी त्रिपाठी ने सूक्ष्म योग, ब्रिटेन से आईं योगाचार्य शाऊल डेविड ने हृदय शक्ति को केंद्रित करने, अमेरिका के योगाचार्य डेना सेराये ने ''हार्ट ऑफ हनुमान', अमेरिका की ऐना फॉरेस्ट व ऑट्रेलिया के जोस कैलार्को ने ''फॉरेस्ट योग' का प्रशिक्षण दिया। फॉरेस्ट योग संगीत, दर्शन, प्रार्थना व कविता के मेल से बनी एक आधुनिक शैली है। 

सूर्योदय के समय गंगा तट पर अमेरिका से आईं अंद्रा जार्ज के मधुर संगीत ने सभी प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके अलावा आयरलैंड के योगाचार्य ब्राउन सिद्धार्थ इंगले ने सोमैमेटिक योग, योगाचार्य जुल्स फेबर ने प्राणायाम और ध्यान, स्वामी उत्तमानंद ने संस्कृत मंत्र कार्यशाला का नेतृत्व किया जो ओम और ओम नम: शिवाय के आंतरिक अर्थ पर केंद्रित थी। 

दोपहर के सत्र में डॉ. अंजना भगत ने प्रारंभिक चक्र ध्यान, अमेरिका की डैफनी त्से ने आत्मा के लिए जप, परमार्थ निकेतन की स्वामिनी आदित्यनंदा सरस्वती ने आध्यात्मिक पाठ्यक्रम ''एक दिव्य कल'' पर उद्बोधन दिया। केटी फिशर ने जप के माध्यम से होने वाली शारीरिक कंपन आवृत्तियों पर ध्यान केंद्रित करने की विधा का अभ्यास कराया। 

साध्वी आभा सरस्वती ने योग निद्रा और विशेष ध्यान के सत्र का नेतृत्व किया। उन्होंने योग निद्रा से शरीर पर होने वाले प्रभावों के विषय में गूढ़ जानकारी प्रदान की। कहा कि योग निद्रा असल में आध्यात्मिक निद्रा है। यह सोने और जागने के बीच की विशेष स्थिति है, जो आत्मिक उन्नति के लिए अत्यंत लाभदायी है।

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