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नैनीताल संसदीय सीट पर यशपाल आर्य ने पेश की दावेदारी

पहली बार नैनीताल लोकसभा सीट से प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने चुनाव लड़ने की मंशा जता सियासी गलियारों का माहौल गरमा दिया है।

By Edited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 11:52 AM (IST)
नैनीताल संसदीय सीट पर यशपाल आर्य ने पेश की दावेदारी
नैनीताल संसदीय सीट पर यशपाल आर्य ने पेश की दावेदारी

देहरादून, विकास धूलिया। चंद महीनों बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ भाजपा में बिसात बिछने लगी है। खास तौर पर, बुजुर्ग दो सांसदों पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी और भगत सिंह कोश्यारी के चुनाव न लड़ने की संभावनाओं को देखते हुए पार्टी के कद्दावर नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश करनी शुरू कर दी है। इस कड़ी में पहली बार नैनीताल लोकसभा सीट से प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने चुनाव लड़ने की मंशा जता सियासी गलियारों का माहौल गरमा दिया है। 

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आर्य का कहना है कि वह नैनीताल लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में से दो-तिहाई का अलग-अलग विधानसभा सीटों के जरिये प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। लिहाजा हर लिहाज से उनकी दावेदारी मजबूत बनती है। 

वर्ष 2014 में संपन्न लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी पांचों सीटों पर जीत दर्ज की थी। पौड़ी गढ़वाल से भुवन चंद्र खंडूड़ी, टिहरी से महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह, हरिद्वार से डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, नैनीताल से भगत सिंह कोश्यारी और अल्मोड़ा सुरक्षित सीट से अजय टम्टा लोकसभा पहुंचे। 

इनमें से खंडूड़ी और कोश्यारी के इस बार चुनाव मैदान में उतरने को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। खंडूड़ी अपनी राजनैतिक विरासत अपनी पुत्री ऋतु खंडूड़ी को सौंप चुके हैं, जिन्हें पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट दिया और अब वह विधायक हैं। 

जहां तक कोश्यारी का सवाल है, वह पूर्व में संकेत दे चुके हैं कि वह आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। यही वजह है कि पौड़ी गढ़वाल और नैनीताल, इन दो सीटों पर टिकट के दावेदार नेताओं की नजरें टिकी हुई हैं। दोनों ही जगह ऐसे नेताओं की संख्या खासी है लेकिन अब तक खुले तौर पर किसी की दावेदारी सामने नहीं आई थी। पहली बार नैनीताल सीट पर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने अपना दावा पेश किया है। 

गौरतलब है कि आर्य अविभाजित उत्तर प्रदेश में भी विधायक रहे हैं और उत्तराखंड के वजूद में आने के बाद हुए चार विधानसभा चुनावों में वह लगातार विधायक चुने जाते रहे हैं। यह बात दीगर है कि वर्ष 2017 की शुरुआत तक आर्य कांग्रेस का विधानसभा में प्रतिनिधित्व करते रहे जबकि पिछला चुनाव उन्होंने भाजपा से लड़ा और जीत दर्ज की। 

अविभाजित उत्तर प्रदेश में यशपाल आर्य खटीमा से विधायक चुने गए। राज्य गठन के बाद वह नैनीताल जिले की मुक्तेश्वर सीट से विधायक बने। विधानसभा सीटों के परिसीमन के बाद पिछले दो चुनावों में उन्होंने उधमसिंह नगर जिले की बाजपुर सीट से जीत दर्ज की। 

सियासी तजुर्बे के लिहाज से देखा जाए तो वह उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष पद के अलावा पिछली कांग्रेस सरकार के बाद अब मौजूदा भाजपा सरकार में भी कैबिनेट मंत्री हैं। सांगठनिक क्षमता के मामले में भी आर्य को खासा तजुर्बा है। बतौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उन्होंने दो कार्यकाल पूर्ण किए। इस लिहाज से देखा जाए तो आर्य का दावा मजबूत माना जा रहा है।

कोश्यारी चुनाव नहीं लड़ते तो मैं दावेदार 

भाजपा नेता एवं कैबिनेट मंत्री यशवाल आर्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य के रूप में मैं नैनीताल लोकसभा सीट के दो-तिहाई क्षेत्र का अलग-अलग प्रतिनिधित्व कर चुका हूं। वैसे इस लोकसभा सीट पर सिटिंग एमपी होने के नाते भगत सिंह कोश्यारी का ही दावा सबसे पहले है, लेकिन अगर वह किसी कारण चुनाव नहीं लड़ते हैं तो फिर मेरी भी इस सीट पर दावेदारी रहेगी। 

उन्होंने कहा कि मैंने कभी जातिवाद या क्षेत्रवाद की राजनीति नहीं की, हमेशा सबको साथ लेकर चला और मुझे हमेशा सबका साथ मिला। यही वजह है कि मैं अल्मोड़ा नहीं, नैनीताल सीट से ही चुनाव लड़ना चाहता हूं। हालांकि किसे चुनाव लड़ाना है, इसका फैसला पार्टी नेतृत्व करता है और मुझे नेतृत्व का हर फैसला शिरोधार्य होगा।

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