पलायन रोके बिना समग्र विकास के दावे खोखले
जागरण संवाददाता, देहरादून: विश्व संवाद केंद्र की ओर से आयोजित लेखक संगोष्ठी में उत्तराखंड के आर्थिक उन्नयन की संभावनाओं पर चर्चा की गई।
जागरण संवाददाता, देहरादून: विश्व संवाद केंद्र की ओर से आयोजित लेखक संगोष्ठी में उत्तराखंड के आर्थिक उन्नयन की संभावनाओं पर चिंतन किया गया। संगोष्ठी में वक्ताओं ने पलायन पर चिंता जताते हुए सरकार से धरातल पर पलायन रोकने की समग्र कोशिश करने को कहा।
रेसकोर्स स्थित ऑफिसर्स ट्रांजिट हॉस्टल में रविवार को आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता दून विवि के कुलपति डॉ. सीएस नौटियाल ने की। इस दौरान ओबरॉय मोटर्स के प्रबंध निदेशक राकेश ओबरॉय ने कहा कि प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए कृषि एवं उद्योग दोनों सेक्टरों को बराबर अधिमान दिया जाना चाहिए। लेकिन, पहाड़ों से लगातार हो रहे पलायन के कारण वहां की कृषि भूमि बंजर होती जा रही है। बताया कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 70 फीसद का योगदान केवल तीन जिले हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर और देहरादून का है। अन्य 10 जिले आर्थिक प्रगति में पिछड़ते जा रहे हैं। विकास के मामले में रुद्रप्रयाग जिला प्रति व्यक्ति आय के मामले में प्रदेश में सबसे नीचे है। कहा कि पहाड़ों में ऑल वेदर रोड और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन बनने के बाद पहाड़ी जिलों को इससे लाभ मिलेगा। स्थानीय दूरदराज के गांवों के लोग रेल लाइन व ऑलवेदर रोड का लाभ उठा सकेंगे। संगोष्ठी के संयुक्त संयोजक एवं उद्यमी अशोक विंडलास ने राज्य में उद्योगों व शिक्षण संस्थानों के बीच समन्वय पर जोर दिया। उन्होंने बढ़ते उद्यमिता के लिए गुजरात और आंध्र प्रदेश मॉडल का जिक्र किया। कहा कि इन राज्यों में औद्योगिक विकास का वातावरण सरकार की ओर से तैयार किया गया। सभी आधारभूत सुविधाएं एक छत के नीचे उपलब्ध कराई गई। कहा कि उत्तराखंड में फार्मा उद्योग की बेहतर संभावनाएं हैं। आमजन को सस्ती दवाओं के बजाय गुणवत्तायुक्त दवाओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। संगोष्ठी का संयोजन लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल ने किया। संगोष्ठी को संयुक्त संयोजक डॉ. बृजमोहन शर्मा ने भी संबोधित किया। इस मौके पर संवाद केंद्र के अध्यक्ष सुरेंद्र मित्तल, सचिव राजकुमार टांक आदि मौजूद रहे।
उद्योग-विवि के बीच समन्वय हो: अध्यक्ष
उत्तराखंड उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा प्रदेश में उद्योगों और विश्वविद्यालय के बीच परस्पर समन्वय होना चाहिए। ताकि उद्योगों को जिस प्रकार के दक्ष युवाओं की जरूरत है, उन्हें हमारे विवि तैयार करें। इससे प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या का समाधान होगा और आर्थिक विकास भी तेजी से होगा।
दून विवि में खुलेगा एमएसएमई केंद्र: कुलपति
दून विवि के कुलपति डॉ. सीएस नौटियाल ने कहा कि दून विवि में जल्द ही लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यमिता केंद्र (एमएसएमई) खोला जाएगा। कहा कि राज्य की उन्नति में उद्यमिता का भी बड़ा योगदान है। हाल ही में सरकार ने पर्यटन को भी उद्योग का दर्जा दे दिया है, जो सकारात्मक पहल है। कृषि एवं उद्यमिता से बेरोजगारी की समस्या कम हो सकती है। कहा कि उनकी कोशिश है कि दून विवि देश के पहले 100 विवि में शुमार हो। इसके लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।