साहित्यकारों ने हिंदी की अलख जगाते हुए उत्‍तराखंड को दिलाई अलग पहचान

उत्तराखंड में बेशक गढ़वाली कुमाऊंनी और जौनसारी बोलियां बोली जाती हों लेकिन यह राज्य हिंदी पट्टी का ही हिस्सा है। उत्तराखंड के साहित्यकारों ने हिंदी की अलख जगाते हुए अलग पहचान बनाई और हिंदी साहित्य लेखन के जरिये भाषा की सेवा कर रहे हैं।