World Rabies Day 2020: रेबीज से ज्यादा घातक है लापरवाही, बचाव के लिए इन बातों का रखें खास ध्यान
World Rabies Day 2020 रेबीज से संक्रमित जानवरों की तादाद पांच फीसद के करीब ही होती है। फिर भी इन जानवरों की चपेट में आने के बाद वैक्सीनेशन बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि रेबीज का संक्रमण हो गया तो फिर यह लाइलाज ही है।
देहरादून, जेएनएन। World Rabies Day 2020 कुत्ता, बंदर, सियार, बिल्ली और अन्य स्तनधारी जंतुओं के काटने से अधिक घबराने की जरूरत नहीं होती, बशर्ते आप इलाज (वैक्सीनेशन) के प्रति जागरूक हों। वैसे तो रेबीज से संक्रमित जानवरों की तादाद पांच फीसद के करीब ही होती है। फिर भी इन जानवरों की चपेट में आने के बाद वैक्सीनेशन बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि रेबीज का संक्रमण हो गया तो फिर यह लाइलाज ही है। यह वायरस सीधे व्यक्ति के मस्तिष्क पर अटैक करता है, जोकि उसकी मौत का कारण बनता है।
कोरोनेशन अस्पताल (जिला अस्पताल) के वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल आर्य के मुताबिक अगर थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो संक्रमण का 80 फीसद खतरा टल जाता है। जैसे कुत्ता, बंदर, बिल्ली आदि स्तनधारी जानवरों के काटने से पीडि़त व्यक्ति को साबुन के पानी से घाव को 15 मिनट तक धुलना चाहिए। घाव पर पिसी मिर्च, मिट्टी के तेल, चूना, नीम की पत्ती, एसिड आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। घाव धोने के बाद कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम, लोशन, स्प्रिट, बीटाडीन आदि लगाया जा सकता है। घाव खुला छोड़ दें। अधिक रक्तस्राव होने पर साफ पट्टी बांध सकते हैं। टांके न लगवाएं। झाड़-फूंक के चक्कर में भी न पड़ें। तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और उनके बताए उपचार को नियमानुसार पूरा करें। अगर कोई कुत्ता काट ले तो उस पर दस दिन तक नजर बनाए रखें। अगर वह जिंदा है तो संक्रमण का खतरा नहीं है।
एसीएमओ डॉ. एनके त्यागी ने बताया कि इस समय जिले में कहीं भी एंटी रेबीज वैक्सीन की कमी नहीं है। जरूरत पड़ने पर जिला चिकित्सा प्रबंधन से बजट पास कर रेबीज के इंजेक्शन मंगा लिए जाते हैं। यह समिति जिला अधिकारी के नेतृत्व में कार्य करती है।
डॉग बाइट के ही हर दिन 30-35 केस
दून में हर दिन डॉग बाइट के 30-35 मरीज अस्पताल पहुंचते हैं। नए-पुराने मरीज मिलाकर यह संख्या 100 से ऊपर पहुंच जाती है। डॉ. अनिल आर्य के अनुसार किसी व्यक्ति को कुत्ते ने काट लिया है तो वह 72 घंटे के अंतराल में एंटी रेबीज वैक्सीन जरूर लगवा ले। इंजेक्शन नहीं लगवाने पर व्यक्ति रेबीज की चपेट में आ सकता है। पहला इंजेक्शन 72 घंटे के अंदर, दूसरा तीन दिन बाद, तीसरा सात दिन बाद, चौथा 14 दिन बाद और पांचवां 28 दिन के बाद लगाया जाता है।
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