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समय पर अस्पताल न पहुंचने से होती हैं 50 फीसद मौतें

संवाद सूत्र, डोईवाला: व‌र्ल्ड रिस्टार्ट हार्ट डे पर इंडियन सोसायटी ऑफ एनिस्थियोलॉजिस्ट के त

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 08:10 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 08:10 PM (IST)
समय पर अस्पताल न पहुंचने से होती हैं 50 फीसद मौतें
समय पर अस्पताल न पहुंचने से होती हैं 50 फीसद मौतें

संवाद सूत्र, डोईवाला: व‌र्ल्ड रिस्टार्ट हार्ट डे पर इंडियन सोसायटी ऑफ एनिस्थियोलॉजिस्ट के तत्वावधान में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों व विभागों में सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें आपातकालीन स्थिति में हृदय की धड़कन को पुन: सुचारू करने का प्रशिक्षण दिया गया।

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जौलीग्रांट स्थित एसआरएचयू में आयोजित सीपीआर (कार्डियो प्लमोनरी रिससिएशन) प्रशिक्षण के तहत मरीजों के तीमारदारों के साथ मेडिकल, मैनेजमेंट, इंजीनिय¨रग, नर्सिंग, पैरामेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं व विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। एसआरएचयू डिपार्टमेंट ऑफ एनिस्थियोलॉजी की विभागाध्यक्ष व दून सोसायटी ऑफ एनेस्थिसिया की अध्यक्ष डॉ. वीना अस्थाना ने कहा कि देश में हर साल लाखों लोगों की दिल की बीमारी की वजह से मौत हो जाती है। 50 फीसदी लोगों की मौत वक्त पर अस्पताल न पहुंच पाने की वजह से होती है। ऐसे में सीपीआर तकनीक किसी जीवनदायिनी से कम नहीं। अगर किसी शख्स को दिल का दौरा पड़ा है तो उसकी जीवन की रक्षा के लिए शुरुआती कुछ मिनट बेहद अहम होते हैं। ऐसे में सीपीआर तकनीक का इस्तेमाल कर प्रभावित व्यक्ति का जीवन बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य हर परिवार से एक जीवन रक्षक तैयार करने के साथ जन जागरूकता पैदा करना व ज्यादा से ज्यादा लोगों को सीपीआर का सही प्रशिक्षण देना है। इस अवसर पर प्रतिभागियों ने डमी पुतलों पर प्रैक्टिस भी की। इस दौरान डॉ. गुरजीत खुराना, डॉ. पारुल ¨जदल, डॉ. निधि, डॉ. दिव्या, डॉ. प्रिया, डॉ. शीरीष, डॉ. हरीश, डॉ. सौरभ, डॉ. शोभा आदि शामिल थे।

सीपीआर तकनीक के मुख्य तथ्य

- मूर्छित व्यक्ति को सुरक्षित और समतल जगह पर ले जाएं।

- प्रभावित व्यक्ति के सीने पर हाथ रखकर उसका रिस्पांस देखे।

- अगर मरीज कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त कर रहा है तो तुरंत आपातकालीन नंबर व एंबुलेंस नंबर पर फोन करें। ताकि आपातकालीन सेवाएं और सुविधाएं जल्द पहुंच सकें।

- 30 बार कंप्रेशन देने के बाद मुंह से मरीज के मुंह में दो बार सांस भरें।


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