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प्रकृति को सम रखना ही स्वास्थ्य

आरोग्य भारती, आयुर्वेद एवं यूनानी सेवाएं, उत्तराखंड के तत्वावधान में कार्यशाला का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 08:19 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 08:19 PM (IST)
प्रकृति को सम रखना ही स्वास्थ्य
प्रकृति को सम रखना ही स्वास्थ्य

जागरण संवाददाता, देहरादून: आरोग्य भारती, आयुर्वेद एवं यूनानी सेवाएं, उत्तराखंड के तत्वावधान में मंगलवार को अग्रवाल धर्मशाला में एक राष्ट्रीय शैक्षणिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसका विषय था हेल्दी लाइफस्टाइल-ए विजन फॉर उत्तराखंड।

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कार्यक्रम अध्यक्ष उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अभिमन्यु कुमार ने कहा कि वर्तमान में गंभीर अनुसंधान आयुर्वेद की आवश्यकता है। उत्तराखंड में स्वस्थ वृत के प्राचीन नियमों पर अनुसंधान करें तो राज्य से सभी को स्वस्थ रखने का संदेश प्रदान किया जा सकेगा। प्रो. अभिमन्यु कुमार ने कहा कि हमारे द्वारा अपनाई जाने वाली जीवनशैली से गर्भ में पल रहे शिशु पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं। इसलिए आहार विहार, दिनचर्या व रात्रिचर्या के साथ ही सात्विक वातावरण के निवास एवं सदवृत्त का पालन महत्वपूर्ण है। इसका पालन न करने से विभिन्न प्रकार के बाल रोग उत्पन्न हो रहे हैं। विशिष्ट अतिथि हिमालयन ड्रग्स के चेयरमैन डॉ. एस फारुख ने कहा कि जीवन को प्रकृति के नजदीक ले जाना जरूरी है। जो रोगी जहां पीड़ित होता है, जहां रोग होता है, वहीं उसकी औषधि भी होती है। मसलन मधुमेह होता है, तो उसे समाप्त करने वाला फल जामुन भी वहीं होता है। आरोग्य भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री डॉ. अशोक वाष्र्णेय ने कहा कि आरोग्य भारती स्वस्थ व्यक्ति को स्वस्थ बनाए रखने के विचार पर कार्य कर रही है। विदेशों के अपने अनुभव बताते उन्होंने कहा कि रोगों से लड़ने के बजाए अब इस बात पर विचार किया जा रहा है कि इससे दूर कैसे रहा जाए। इसी कारण योग, प्राणायाम, व्यायाम के प्रति शोधात्मक कार्य चल रहा है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक युद्धवीर ने कहा कि हमें पशु पक्षियों से स्वास्थ्य के संबंध में शिक्षा लेनी चाहिए। प्रात:काल चार बजे उठना, सूर्य ढलने के उपरांत विश्राम करना, भोजन के एक घंटे बाद तक जल न पीना, आवश्यकता अनुसार भोजन करना आदि स्वस्थ जीवन का मूलमंत्र है। निदेशक आयुर्वेद एवं यूनानी सेवाएं डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी ने कहा कि व्यक्ति सोचता है कि बीमार पड़ने पर डॉक्टर को दिखा लूंगा, दवा खा लूंगा। पर इसके बजाए रोग उत्पन्न न हो, यह सोच रखनी चाहिए। क्योंकि रोग के बाद उसकी चिकित्सा अत्यंत कठिन है। आरोग्य भारती उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार मित्तल ने संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यो की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आदित्य कुमार व डॉ. विपिन कुमार ने किया।


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