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आरटीओ में लगे फाइलों के अंबार को खत्म करने की कसरत पड़ी ठंडी

आरटीओ कार्यालय में लगा वाहनों की फाइलों का ‘पहाड़’ खत्म करने को लेकर सात महीने पहले जनवरी में शुरू परिवहन विभाग की कसरत को कोरोना ने झटका दे दिया है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 04:33 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 04:33 PM (IST)
आरटीओ में लगे फाइलों के अंबार को खत्म करने की कसरत पड़ी ठंडी
आरटीओ में लगे फाइलों के अंबार को खत्म करने की कसरत पड़ी ठंडी

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। आरटीओ कार्यालय में लगा वाहनों की फाइलों का ‘पहाड़’ खत्म करने को लेकर सात महीने पहले जनवरी में शुरू परिवहन विभाग की कसरत को कोरोना ने झटका दे दिया है। विभाग ने पुराने वाहनों की करीब दस लाख फाइलों के कंप्यूटरीकरण के लिए जनवरी में टेंडर प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन फरवरी में कर्मचारियों की हड़ताल व इसके बाद लॉकडाउन के कारण मामला अधर में फंस गया। स्थिति ये है कि सात माह बीत जाने के बावजूद विभाग अब तक टेंडर भी नहीं करा पाया, जबकि परिवहन मुख्यालय ने इसके लिए पांच करोड़ रुपये मंजूर किए हुए हैं। 

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परिवहन विभाग में ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण से लेकर फिटनेस आदि के कार्य ऑनलाइन हो चुके हैं। बावजूद इसके फाइलों का बोझ कम होने का नाम नहीं ले रहा। मौजूदा समय में अकेले दून आरटीओ में ही करीब दस लाख फाइलों का ढेर लगा हुआ है। विभाग इनका कंप्यूटरीकरण कराने की तैयारी कर रहा। इस काम को आरटीओ ने दस कर्मचारियों की डिमांड मुख्यालय में भेजी थी, जो अब तक पूरी नहीं हुई। इसके साथ ही अब तक विभाग किसी कंपनी का चयन भी नहीं कर पाया है, जो फाइलों का डाटा स्कैन कर कंप्यूटरीकृत करने का कार्य करेगी। 

योजना के तहत डाटा कंप्यूटरीकरण होने के बाद फाइलों को नष्ट किया जाएगा। इसके बाद वाहन ट्रांसफर कराने, आरसी के नवीनीकरण समेत टैक्स आदि कार्य कंप्यूटर के जरिए होंगे। परिवहन विभाग की मानें तो फाइलों का कंप्यूटरीकरण होने में एक साल का वक्त लग सकता है। मौजूदा वक्त में नए वाहनों का डाटा ऑनलाइन ही फीड किया जा रहा। व्यवस्था यह भी की जा रही कि डाटा कंप्यूटर में फीड करने के बाद फाइल वाहन के मालिक के सुपुर्द कर दी जाए। 

चूहे कुतर रहे वाहनों की फाइलें 

कार्यालय परिसर में वाहनों की फाइलों की दुर्दशा पर परिवहन सचिव भी नाराजगी जता चुके हैं। पिछले साल एक अगस्त को परिवहन सचिव शैलेश बगोली ने आरटीओ दफ्तर में छापा मारा था तो उन्होंने फाइलों का अंबार देख पूछा था कि कंप्यूटराइजेशन हो चुका है तो फाइलों को क्यों संभाला जा रहा। इस बीच उन्होंने देखा था कि निचले तल पर फाइलें चूहे कुतर रहे थे। यही नहीं पहली मंजिल पर गैलरी में भी फाइलों और पुराने कंप्यूटर के ढेर लगे हुए थे। परिवहन सचिव ने फाइलों के रखरखाव की मजबूत व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए थे। जिस पर विभाग ने कंप्यूटरीकरण का प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजा था।

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फाइलें पुराने निजी एवं सभी व्यावसायिक वाहनों की हैं। वहीं, इस मामले में आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई का कहना है कि करीब दस लाख पुराने वाहनों की फाइलें कंप्यूटरीकृत करने के लिए टेंडर प्रक्रिया की तैयारी चल रही है । पांच कंपनियों ने आवेदन किए हैं। टेंडर मुख्यालय स्तर पर होने हैं व इन्हें जल्द कराने का प्रयास हो रहा। कंपनी चयन के बाद फाइलें कंप्यूटरीकृत करने में करीब एक साल का वक्त लगेगा। इस काम के लिए मुख्यालय को दस कर्मचारियों की डिमांड भेजी गई है, जो फाइलें स्कैन करने में कंपनी की मदद करेंगे। 

 बैंक की तरह कंप्यूटर पर होगा हस्ताक्षर का मिलान 

फाइलों के कंप्यूटरीकरण के बाद वाहन से जुड़े किसी भी कार्य के लिए बैंकों की तरह कंप्यूटर पर हस्ताक्षर का मिलान होगा। इसके बाद वाहन ट्रांसफर, नवीनीकरण या फिटनेस से जुड़े मामलों में कर्मचारियों को फाइलों के ढेर में घुसने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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