पति की शहादत के बाद अब पत्नी पहनेंगी सैन्य वर्दी, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून के शहीद दीपक नैनवाल की पत्नी ज्योति पति की शहादत के बाद वह सैन्य वर्दी पहनेंगी। अब वह सेना में अफसर बनेंगी।
देहरादून, जेएनएन। इसी जज्बे से सरहदें सलामत हैं। वीर प्रसूता इस भूमि पर कई परिवार ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनों को खोया पर हौसला नहीं खोया। प्रदेश में कई शहीद परिवारों के युवा पिता-भाई या चाचा-ताऊ की शहादत को सलाम करते हुए खुद भी सेना में पदार्पण कर चुके हैं। पर अब बेटियां भी उनके साथ कदमताल कर रही हैं। हम बात कर रहे हैं शहीद दीपक नैनवाल की पत्नी ज्योति की। पति की शहादत के बाद अब वह देश की सेवा को उनकी राह चल पड़ी हैं।
देहरादून जिले के हर्रावाला निवासी दीपक नैनवाल गत वर्ष दस अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकी मुठभेड़ में घायल हुए थे। तीन गोलिया लगी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। शरीर में धंसी गोलियों से एक माह तक लोहा लिया। परिवार वालों को हमेशा यही कहा, 'चिंता न करें, मामूली जख्म है, ठीक हो जाऊंगा।' लेकिन 20 मई को वह जिंदगी की जंग हार गए। जिसने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया। पर शहीद की पत्नी ज्योति जानती हैं कि जिंदगी की हकीकत सामने है और बोझिल होती दुनिया से आगे भी एक दुनिया है। ऐसे में उन्होंने अपने लिए एक नई राह चुनी है।
वे सैन्य अफसर बनने की ठान चुकी हैं। बता दें, चंद्रबनी के शहीद शिशिर मल्ल की पत्नी संगीता व नींबूवाला के शहीद अमित शर्मा की पत्नी प्रिया सेमवाल पहले ही सैन्य वर्दी पहन उदाहरण स्थापित कर चुकी हैं। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल डीके कौशिक ने बताया कि ज्योति की उनसे बात हुई है। कोचिंग में उन्हें हर तरह से सहयोग किया जाएगा। बताया कि न्यूनतम मानक से सेना समझौता नहीं करती। पर शहीद की पत्नी को वरियता व आयु में छूट जरूर प्रदान की जाती है।
शहीद की बेटी ने भरा सब में जोश
दुनियादारी क्या होती है छह साल की लावण्या को नहीं पता। लेकिन उसे पता है कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। उसे ये भी पता है कि वो शहीद हुए हैं और शहीद होने का मतलब क्या होता है। शहीद दीपक नैनवाल की बेटी लावण्या ने अपने पिता के लिए एक छोटी सी कविता बनाई है। गांधी पार्क में आयोजित कार्यक्रम में यह कविता उसने सुनाई तो वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंख नम हो गई तो अगले पल हर शख्स जोश से भर उठा। शहीद का बेटा रेयाश भी पिता की ही तरह फौजी बनना चाहता है। वह कार्यक्रम में भी फौजी बनकर पहुंचा था।
यह भी पढ़ें: सैन्य परम्परा को आगे बढ़ा रहे उत्तराखंड के युवा, पढ़िए पूरी खबर
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के सपूतों के बिना अधूरी है कारगिल की वीरगाथा
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप