जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार से वन्यजीवों पर नहीं पड़ेगा असर
उत्तराखंड सरकार ने साफ किया है कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के लिए वन भूमि दिए जाने से वन एवं वन्यजीवों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस संबंध में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को पत्र भेजकर स्थिति स्पष्ट की गई है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने साफ किया है कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के लिए वन भूमि दिए जाने से वन एवं वन्यजीवों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस संबंध में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को पत्र भेजकर स्थिति स्पष्ट की गई है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने नोडल अधिकारी की ओर से पत्र भेजे जाने की पुष्टि की। पत्र में कहा गया है कि जो वन भूमि एयरपोर्ट के लिए प्रस्तावित की गई है, उसमें बहुमूल्य प्रजाति के वृक्ष नहीं हैं। जिन पेड़ों को शीशम व खैर का बताया जा रहा है, वह जुलाई 2001 में हुआ प्लांटेशन है।
सरकार ने जौलीग्रांट हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने का निर्णय लिया है। जौलीग्रांट एयरपोर्ट दिल्ली के एकदम नजदीक है। दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट में पार्किंग की दिक्कत को देखते हुए जौलीग्रांट यह कमी पूरा कर सकता है। इससे राज्य को राजस्व मिलने के साथ ही कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी यहां आ सकेंगी। इस सबके दृष्टिगत जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के लिए उससे लगी देहरादून वन प्रभाग की 87.08 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करने का निर्णय लिया गया। राज्य वन्यजीव बोर्ड ने भी इसका प्रस्ताव पारित कर अनुमोदन के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा है।
इस बीच जौलीग्रांट एयरपोर्ट के लिए वन भूमि दिए जाने का विरोध शुरू हो गया। विरोध करने वालों का कहना है कि यह क्षेत्र शिवालिक एलीफेंट प्रोजेक्ट के दायरे में है। खुद सरकार ने पूर्व में शिवालिक एलीफेंट क्षेत्र की अधिसूचना जारी की थी। एयरपोर्ट के विस्तार के लिए वन भूमि दिए जाने से जहां हाथी समेत दूसरे वन्यजीवों पर असर पड़ेगा, वहीं हजारों की तादाद में संबंधित भूमि पर खड़े पेड़ों की बलि भी देनी पड़ेगी।
हालांकि, विरोध के बीच शिवालिक एलीफेंट क्षेत्र की पूर्व में जारी अधिसूचना को निरस्त भी कर दिया गया था। वहीं, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य को पूरे प्रकरण पर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए थे। साथ ही एयरपोर्ट के विस्तार के मद्देनजर अन्य विकल्प तलाशने की संभावना पर भी विचार करने के लिए कहा था।
अब राज्य की ओर से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को पत्र भेजकर स्थिति से अवगत कराया गया है। पत्र में साफ किया गया है कि एयरपोर्ट के विस्तार के लिए प्रस्तावित वन भूमि में बहुमूल्य नहीं, बल्कि कुकाट प्रजाति के पेड़ हैं। यह भूमि दिए जाने से हाथी अथवा दूसरे वन्यजीवों की आवाजाही में कहीं कोई बाधा नहीं आएगी।
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