किसानों के खून-पसीने को रौंद रहे वन्य जीव, खेती छोड़ने को हैं मजबूर
ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवर रौंद रहे हैं। प्रतिवर्ष फसल पर कहर ढाह रहे जंगली जानवरों के कारण किसान खेती-बाड़ी छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
ऋषिकेश, जेएनएन। किसानों की उपज ही उनके खून-पसीने की कमाई होती है और इसी कमाई को ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवर रौंद रहे हैं। प्रतिवर्ष फसल पर कहर ढाह रहे जंगली जानवरों के कारण किसान खेती-बाड़ी छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
ऋषिकेश तहसील का श्यामपुर और छिद्दरवाला क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इन क्षेत्रों में लगातार किसान खेतीबाड़ी से विमुख होते जा रहे हैं। इसका बड़ा कारण किसानों की फसल को जंगली जानवरों से हो रही क्षति है। श्यामपुर के खदरी खड़क माफ क्षेत्र, गढ़ी मयचक, भल्ला फार्म आदि क्षेत्र लंबे समय से जंगली जानवरों के आतंक के चलते प्रभावित हैं। यहां हाथी, नीलगाय, हिरन, आवारा पशु, सुअर, बंदर और लंगूर किसानों के दुश्मन बने हुए हैं।
किसी भी सीजन की फसल जंगली जानवरों से सुरक्षित नहीं रह पाती। आलम यह है कि जंगली जानवरों के उत्पात के चलते किसान खेती बाड़ी छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं, जो किसान खेती कर भी रहे हैं उन्हें अपनी फसलों की सुरक्षा भारी पड़ रही है। किसानों ने खेतों में जानवरों से सुरक्षा के लिए मचान और झोपड़ियां बनाई हुई हैं, जहां रात भर किसान पहरा देकर फसलों की सुरक्षा करते हैं। बावजूद इसके जंगली जानवर कहीं ना कहीं से कृषि क्षेत्र में घुसकर नुकसान पहुंचा जाते हैं। वन विभाग है कि सुरक्षा के नाम पर सिर्फ कागजों में ही योजनाएं तैयार करता है। खदरी खड़क माफ क्षेत्र में पिछले वर्षों से लगातार हाथी और अन्य जंगली जानवर किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
खदरी खड़क माफ के किसान विनोद जुगलान का कहना है कि हमने यहां फसलों की सुरक्षा के लिए स्थायी रूप से हाथी रोधी दीवार बनाने की मांग की है। मगर सुरक्षा दीवार तो दूर वन विभाग इलेक्ट्रिक फेंसिंग तक नहीं लगा पाया है। यही हाल रहे तो बचे किसान भी आने वाले दिनों में अपनी खेती छोड़ देंगे।
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ऋषिकेश के वन क्षेत्राधिकारी आरपीएस नेगी कहते हैं कि क्षेत्र में हाथी सुरक्षा दीवार के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। पिछले वर्ष जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा के लिए जंगल से लगे क्षेत्र में खाई खुदान का कार्य किया गया था। मगर बरसात में यह खाई मिट्टी से पट गई। जिससे जंगली जानवर कृषि क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। जंगली जानवरों से बचाव के लिए दोबारा अस्थाई रूप से खाई तैयार कराई जाएगी।