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जंगली जानवर किसानों की फसलों को पहुंचा रहे नुकसान, बचाव को नहीं हो रहे उपाय

ब्लाक विकासनगर के अधिकतर गांवों में आए दिन जंगल से भटककर आने वाले जंगली जानवर बड़े पैमाने पर किसानों की फसलों को अपना निशाना बनाते हैं। जंगली जानवरों के इस अतिक्रमण को रोकने के लिए जंगल के किनारों पर तारबाड़ व सुरक्षा दीवार लगाना ही उपाय है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 05:12 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 05:12 PM (IST)
जंगली जानवर किसानों की फसलों को पहुंचा रहे नुकसान, बचाव को नहीं हो रहे उपाय
कालसी वन प्रभाग के तिमली जंगल से निकले हाथियों के झुंड के गेहूं के खेत में दिख रहे पगमार्क।

संवाद सहयोगी, विकासनगर। ब्लाक विकासनगर के अधिकतर गांवों में आए दिन जंगल से भटककर आने वाले जंगली जानवर बड़े पैमाने पर किसानों की फसलों को अपना निशाना बनाते हैं। जंगली जानवरों के इस अतिक्रमण को रोकने के लिए जंगल के किनारों पर तारबाड़ व सुरक्षा दीवार लगाना ही उपाय है, लेकिन जिम्मेदार विभागों के पास बजट की भारी कमी के कारण जानवरों की रोकथाम के लिए इस प्रकार के आवश्यक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। उधर, विकासखंड स्तर पर इस प्रकार के कार्यों को मनरेगा योजना के माध्यम से कराए जाने की व्यवस्था है। परंतु प्रभावितों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

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विकासखंड विकासनगर के मर्द्रसू से लेकर लांघा, बड़वा, केदारावाला, मेंहूवाला, बद्रीपुर, मेंदनीपुर, तिपरपुर, धर्मावाला, शाहपुर कल्याणपुर, तिमली, कुंजा, कुंजाग्रांट, कुल्हाल, आदूवाला, रामगढ़ जैसे एक दर्जन से अधिक गांवों की सीमा क्षेत्र में पड़ने वाली विभिन्न वन रेंज के संरक्षित वन क्षेत्र से मिलती हैं। इसके अलावा कई अन्य ऐसे गांव भी हैं, जहां जंगलों से निकलकर वन्यजीव फसलों को व्यापक स्तर पर नुकसान पहुंचाते रहते हैं। संरक्षित वन क्षेत्रों की सीमा से सटे इस प्रकार के ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों की कृषि भूमि में होने वाले पशु अतिक्रमण की रोकथाम के लिए पूर्व के वर्षों में तारबाड़ या सुरक्षा दीवार लगाए जाने की एक व्यवस्था थी। 

इस व्यवस्था के आधार पर जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान को काफी हद तक नियंत्रित भी किया जाता था, लेकिन फिलहाल वन विभाग, उद्यान विभाग के पास बजट नहीं होने के कारण इन क्षेत्रों में तारबाड़ लगाने की किसी योजना पर पिछले चार-पांच साल से कोई काम नहीं हुआ है। कालसी वन प्रभाग के डीएफओ श्रीप्रकाश शर्मा का कहना है फिलहाल गश्त के माध्यमों से ही वन्यजीव पर नजर रखी जा रही है। इसके अतिरिक्त वन्यजीव से होने वाले नुकसान के लिए विभाग के माध्यम से मुआवजा भी दिया जाता है। इसी क्रम में सहायक उद्यान अधिकारी इंदुभूषण कुमोला का कहना है कि विभाग की ओर से मैदानी क्षेत्रों के लिए तारबाड़ आदि की कोई योजना विभाग के माध्यम से फिलहाल संचालित नहीं हो रही है।

नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

ब्लाक स्तर से मनरेगा योजना के तहत वन्यजीवों से बचाव के लिए तारबाड़ व सुरक्षा दीवार बनाने की योजना है, लेकिन इस योजना को लेकर ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक ब्लाक की किसी एक भी ग्राम पंचायत ने ऐसा कोई प्रस्ताव पारित करके ब्लाक के पास नहीं भेजा है। ब्लाक प्रमुख जसविंदर सिंह का कहना है कि मनरेगा के तहत किसानों की फसलों को जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिल सकती है।

कृषि मंत्रालय  को लिखा पत्र

विकासनगर मंडी समिति के पूर्व अध्यक्ष विपुल जैन का कहना है कि किसी एक विभाग या माध्यम से किसानों की इस बड़ी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है। इसके लिए पूर्व के वर्षों की भांति वन विभाग, उद्यान विभाग, विकासखंड, कृषि विभाग आदि के माध्यम से व्यापक स्तर पर काम किए जाने की आवश्यकता है। कृषि मंत्रालय को इस मामले में उन्होंने पत्र भी लिखा है। जिसमें उन्होंने सभी विभागों से सामंजस्य बनाकर तारबाड़, सुरक्षा दीवार आदि के निर्माण के लिए बजट की व्यवस्था करने की मांग की है। उनका कहना है कि पर्याप्त बजट का आंवटन कृषि मंत्रालय करेगा, तभी किसानों को जंगली जानवरों के नुकसान से बचाया जा सकता है। 


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