युवाओं ने बदल दी इंटर कॉलेज की तस्वीर
क्वारंटाइन रहने के दौरान भी समय का सद्पयोग कर एक नजीर बना जा सकता है। ऐसे ही नजीर अन्य प्रदेशों से उत्तराखंड लौटे यमकेश्वर प्रखंड के बिनक गांव के युवाओं ने पेश की है। पोखरखाल विद्यालय में क्वारंटाइन रहते हुए इन युवाओं ने अपनी मेहनत से स्कूल की सूरत बदल डाली।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश :
क्वारंटाइन रहने के दौरान भी समय का सद्पयोग कर एक नजीर बना जा सकता है। ऐसे ही नजीर अन्य प्रदेशों से उत्तराखंड लौटे यमकेश्वर प्रखंड के बिनक गांव के युवाओं ने पेश की है। पोखरखाल विद्यालय में क्वारंटाइन रहते हुए इन युवाओं ने अपनी मेहनत से स्कूल की सूरत बदल डाली।
कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन जारी है। लेकिन लॉकडाउन चार में केंद्र सरकार ने लोगों को अपने-अपने प्रदेश आने-जाने की इजाजत दी है। उत्तराखंड में आए दिन आने वाले प्रवासियों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोरोना वायरस रोकथाम के के लिए आने वाले प्रवासियों को क्वारंटाइन किया जा रहा है। दूसरे प्रदेशों से अपने घर लौटे बिनक गांव के प्रवासी अनिल सिंह, शीशपाल, जयपाल, अनिल सिंह व मनोज सिंह पोखरखाल विद्यालय और प्राइमरी विद्यालय में कवारंटाइन किए गए थे। स्कूल में रहने के दौरान इन युवाओं ने स्कूल की साफ-सफाई, साज, सज्जा कर फूलों की क्यारी तैयार की। क्वारंटाइन के दौरान उन्होंने पूरे विद्यालय में सफेदी एवं रगंरोगन कर उसे नया रूप दिया है। इन युवाओं ने बताया कि क्वारंटाइन के दौरान ग्राम प्रधान व अन्य लोगों ने उनके रहने के लिए बहुत बढि़या व्यवस्था की है। वह भी खाली बैठे समय का सद्पयोग करना चाहते थे, तो इससे अच्छा तरीका और कोई नहीं हो सकता। इसी सोच में उन्होंने स्कूल की साफ सफाई व रंग-रोगन का काम शुरू किया था। जिससे विद्यालय परिसर की सूरत बदल गई है। समाज सेवी हरेंद्र रौथाण, विद्यालय के मैनेजर सुनील बर्थवाल ने युवाओं के जज्बे की सराहना करते हुए कहा कि इन युवाओं ने नई मिशाल कायम की है। उन्होंने बताया कि यह चारों युवक इसी स्कूल के छात्र रहे हैं। शनिवार को इन सभी युवाओं की क्वारंटाइन की अवधि भी पूर्ण हो गई। जिसके बाद उन्हें सम्मान के साथ गांव में इनके घरों में ले जाया गया।