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होटल-ढाबों में बंद नहीं हो रहा घरेलू सिलेंडर का इस्तेमाल, कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

होटल-ढाबों से लेकर ठेलियों पर धड़ल्ले से घरेलू सिलेंडर का प्रयोग हो रहा है। इन पर अकुंश लगाने के लिए आपूर्ति विभाग और बाट-माप विभाग केवल खाना पूर्ति के लिए अभियान चलाता है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 04:15 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 08:28 PM (IST)
होटल-ढाबों में बंद नहीं हो रहा घरेलू सिलेंडर का इस्तेमाल, कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
होटल-ढाबों में बंद नहीं हो रहा घरेलू सिलेंडर का इस्तेमाल, कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

देहरादून, जेएनएन। दून के होटल-ढाबों से लेकर ठेलियों पर धड़ल्ले से घरेलू सिलेंडर का प्रयोग हो रहा है। इन पर अकुंश लगाने के लिए आपूर्ति विभाग और बाट-माप विभाग केवल खाना पूर्ति के लिए अभियान चलाता है। अक्सर जब किसी दुकान में घरेलू सिलेंडर पकड़ा जाता है तो विभाग दुकान का चालान कर कार्रवाई के नाम खानापूर्ति कर देता है, जबकि ऐसे दुकानदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए तभी इस पर अंकुश लग सकता है। 

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दून में बड़े-बड़े होटलों से लेकर, ढाबों, चाय, चाऊमीन की दुकानों पर धड़ल्ले से घरेलू रसोई गैस का उपयोग किया जा रहा है। इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को भी लेकिन विभाग कभी-कभी छापेमारी कर ऐसे दुकानदारों के खिलाफ चालान की कार्रवाई करता है। दुकानदार जुर्माना अदा कर बच जाता है। उसके बाद फिर से दुकानों में अपने फायदे के लिए घरेलू गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करते हैं। जिससे आम उपभोक्ताओं को रसोई गैस की किल्लत से भी जूझना पड़ता है। यह हकीकत है कि विभाग की तरफ से सख्त कार्रवाई न होने से दुकानदार अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। 

नहीं रुक रहा अवैध रीफिलिंग का धंधा 

दून में आपूर्ति विभाग पिछले कुछ समय से अवैध रीफिलिंग के खिलाफ कार्रवाई जरूर कर रहा है। लेकिन इसके बावजूद  यह काला धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा। शहर से लेकर देहात तक इस काले कारोबार ने पांव जमा रखे हैं। हालांकि पिछले महीने आपूर्ति विभाग ने अवैध रीफिलिंग करने वाले सात आरोपितों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया। इससे इस कारोबार से जुड़े लोगों में कुछ अंकुश तो लगा है। विभाग अगर समय-समय पर इस तरह की सख्त कार्रवाई करें तो इस अवैध रिफिलिंग के कारोबार में अंकुश संभव है।  

घटतौली पर भी काबू नहीं 

रीफिलिंग के साथ ही घटतौली भी एक ऐसी समस्या है, जिस पर गैस कंपनियां और आपूर्ति विभाग अंकुश नहीं लगा पा रहा है। लेकिन इसके साथ ही ग्राहकों में जागरूकता की कमी भी इसका एक कारण है। गैस कंपनियों का कहना है कि एजेंसी संचालकों को डिलीवरी वाली गाड़ी में तोल-कांटा रखना अनिवार्य है। ग्राहक डिलीवरी के समय अपने सिलेंडर का वजन करा सकते हैं। अगर सिलेंडर का वजन कम मिलता है तो इसकी कंपनी या एजेंसी से सीधी शिकायत की जा सकती है। 

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दोगुना मुनाफा कमा रहे धंधेबाज 

गैस की कालाबाजारी कर धंधेबाज बड़ा मुनाफा कमाते हैं। इस धंधे की सबसे अहम कड़ी डिलीवरी ब्याय को माना जाता है। ये लोग बिना गैस बुक के सिलेंडर देने पर सिलेंडर के मूल्य से तीन से पांच सौ रुपये तक अतिरिक्त वसूल लेते हैं।

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जिलापूर्ति अधिकारी जसवंत सिंह कंडारी ने बताया कि आपूर्ति विभाग समय-समय पर रीफिलिंग और घटतौली के खिलाफ अभियान चलाता रहता है। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों के लिए तीन टीमें भी बनाई गई हैं। जिन्हें रीफिलिंग और घटतौली पर के खिलाफ अभियान चलाने की जिम्मेदारी दी गई है।

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