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जब अचानक कार्यकर्ता की दुकान पर आ बैठे अटल

दुर्गा नौटियाल, ऋषिकेश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मृदभाषी ही नहीं बल्कि कार्यकत

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 03:02 AM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 03:02 AM (IST)
जब अचानक कार्यकर्ता की दुकान पर आ बैठे अटल
जब अचानक कार्यकर्ता की दुकान पर आ बैठे अटल

दुर्गा नौटियाल, ऋषिकेश

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मृदभाषी ही नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं के प्रति समर्पण और सम्मान का भाव भी रखते थे। वर्ष 1991 में जब वह गढ़वाल के भ्रमण पर आए थे। तो वह अचानक हरिद्वार रोड स्थित संगठन कार्यकर्ता की दुकान पर चुपचाप आकर बैठ गये। वहां बैठे अन्य व्यक्तियों ने जब उन्हें पहचाना तो काम में मशगूल इस कार्यकर्ता को यह बात बताई। जिस पर कार्यकर्ता चौंकने के साथ भाव विह्वल गया।

ऋषिकेश आगमन पर अटल बिहारी वायपेयी अक्सर भारतीय जनसंघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता यशपाल अग्रवाल के घर आते थे। उनकी दून तिराहा हरिद्वार रोड पर वर्षो पुरानी दुकान है। उन्होंने बताया कि एक दिन अटल जी अचानक अकेले उनकी दुकान पर पहुंचे और गद्दी पर बैठ गए। मैं अपने काम में व्यस्त था। दुकान में ज्वालापुर के एक व्यापारी पहले से बैठे थे। उन्होंने अटल जी को पहचान लिया। वयोवृद्ध व्यापारी यशपाल अग्रवाल के मुताबिक अटल जी को इस तरह दुकान में देखकर मैं उस वक्त निशब्द हो गया।

वाजपेयी को भेंट की थी 51 हजार रुपये की थैली

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रघुनंदन प्रसाद बहुगुणा धर्मार्थ चिकित्सालय के उद्घाटन पर अटल बिहारी वाजपेयी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरम का भी शिलान्यास किया था। इस मौके पर तत्कालीन भाजपा के नगर अध्यक्ष राम प्रकाश कालड़ा ने संगठन की ओर से वाजपेयी को 51 हजार रुपये की थैली भेंट की थी। इस कार्यक्रम को भाजपा के प्रांतीय अध्यक्ष कल्याण ¨सह और महामंत्री कलराज मिश्र ने भी संबोधित किया था। तीर्थनगरी के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषिराम वशिष्ठ ने पूजन संपन्न कराया था। उनके पुत्र वरिष्ठ पत्रकार प्रबोध उनियाल ने बताया कि संबोधन के दौरान अटली जी ने रूप कुंवर सती कांड की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि आखिर नारी को ही क्यों सती बनाया जाता है। यदि पति की चिता के साथ जल जाने वाली नारी सती है तो पति की मृत्यु के पश्चात जीवन से जुझने व अपने बच्चों की परवरिश करने वाली नारी को महासती कहा जाना चाहिए।


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