उत्तराखंड में नए कलेवर में निखरेगी सहकारिता
सहकारिता अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र है, लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद सरकारों ने इसे दोयम दर्जे का ही समझा। अब जाकर मौजूदा प्रदेश सरकार ने सहकारिता को तवज्जो देते हुए इसकी तस्वीर संवारने की ठानी है।
सहकारिता अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र है, लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद सरकारों ने इसे दोयम दर्जे का ही समझा। अब जाकर मौजूदा प्रदेश सरकार ने सहकारिता को तवज्जो देते हुए इसकी तस्वीर संवारने की ठानी है। यह कहना है राज्य के सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत का। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में उत्तराखंड में सहकारिता आंदोलन एकदम नए कलेवर में सामने आएगा। प्रस्तुत हैं सहकारिता से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर डॉ.रावत से हुई दैनिक जागरण के केदार दत्त की बातचीत के मुख्य अंश :-
प्रश्न: गुजरात, राजस्थान, उप्र की भांति उत्तराखंड में सहकारिता आंदोलन गति नहीं पकड़ पाया। क्या वजह मानते हैं?
जवाब : सहकारिता एक ऐसा क्षेत्र है, जो आर्थिकी को संवारने में सक्षम है। बावजूद इसके पिछली सरकारों ने इसे तवज्जो नहीं दी। अब हमने इस पर फोकस किया है और लोग भी सहकारिता की तरफ उन्मुख हो रहे हैं। आने वाले दिनों में सहकारिता एकदम नए रूप में निखरकर सामने आएगा। यह आर्थिकी भी संवारेगा और पलायन थामने में मददगार बनेगा।
प्रश्न: सहकारिता की तस्वीर संवारने को भाजपा सरकार की कार्ययोजना क्या है?
जवाब: हमने सहकारिता की रीढ़ पैक्स (प्रारंभिक कृषि ऋण सहकारी समितियों) का उच्चीकरण कर इन्हें बहुद्देश्यीय सहकारी समिति का दर्जा दिया है। इनमें सचिवों की नियुक्ति को अलग कैडर बनाया है। अब हर न्याय पंचायत में एक बहुद्देश्यीय समिति होगी। समितियों को अधिकार संपन्न बनाया गया है। समिति और किसान को जवाबदेह बनाया जा रहा है। इन समितियों के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने को तमाम कदम उठाए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में यह धरातल पर दिखने लगेंगे।
प्रश्न: समितियों को पेट्रोल पंप, रसोई गैस एजेंसी संचालन का जिम्मा सौंपने की मुहिम कहां तक पहुंची?
जवाब: देखिये, समितियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के मद्देनजर यह पहल की जा रही है। प्रथम चरण में 40 पेट्रोल पंप और लगभग 100 गैस एजेंसियां देने के मद्देनजर पेट्रोलियम मंत्रालय से बात हो चुकी है। समितियों से आवेदन मांगे गए हैं और प्रक्रिया चल रही है।
प्रश्न: सहकारिता के लिए 3600 करोड़ की योजना मंजूर हुई है, इसकी लांचिंग कब तक होगी?
जवाब: यह पांच साल की योजना है। इस साल इसमें राज्य की 30 बहुद्देश्यीय समितियों को लिया जा रहा है, जिन्हें मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। योजना के तहत रिवाल्विंग फंड, मॉल, अपना बाजार, क्रय विक्रय समेत अन्य कार्याें की रूपरेखा तय कर ली गई है। जल्द ही योजना को लांच किया जाएगा।
प्रश्न: परिसंपत्तियों के बंटवारे में उप्र से भंडार गृह राज्य को मिल गए हैं, इनके उपयोग की क्या है योजना?
जवाब: यह एक बड़ी सफलता मिली है। अब उत्तराखंड भंडार निगम के गोदामों को दुरुस्त कराकर कोई भी विभाग इनमें भंडारण कर सकता है। इसके लिए तैयारी चल रही है।
प्रश्न: बहुद्श्ेयीय समितियां कब तक ऑनलाइन होंगी?
जवाब: इसके लिए केंद्र से 80:20 के अनुपात में राशि देने को मंजूरी मिली है। यानी ऑनलाइन की प्रक्रिया में केंद्र 80 फीसद बजट देगा, जबकि शेष 20 फीसद में से 15 फीसद राज्य सरकार और पांच फीसद समिति व्यय करेगी। अब जल्द ही समितियां ऑनलाइन हो जाएंगी।