पांच साल बाद होर्डिंग के नए टेंडर का रास्ता साफ, अब 'जुगलबंदी' होगी खत्म
शहर में होर्डिंग के नए टेंडर का रास्ता साफ हो गया है जिससे आठ साल से चल रही नगर निगम और होर्डिंग कंपनी की जुगलबंदी भी टूटने के कयास लगाए जा रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। पांच साल बाद शहर में होर्डिंग के नए टेंडर का रास्ता साफ हो गया है, जिससे आठ साल से चल रही नगर निगम और होर्डिंग कंपनी की 'जुगलबंदी' भी टूटने के कयास लगाए जा रहे हैं। नैनीताल हाईकोर्ट ने दून शहर में होर्डिंग के नए टेंडर पर वर्ष 2015 में लगाई रोक हटा ली है। अब नगर निगम नए टेंडर मार्च में कराने की तैयारी कर रहा है। निगम को इस बार साल 2015 की तुलना में टेंडर की धनराशि में भारी वृद्धि का अनुमान है।
होर्डिंग कारोबार में नगर निगम के बड़े अधिकारियों की भूमिका हमेशा विवादों में रही है। होर्डिंग कंपनी से सांठगांठ में टेंडर घोटाला हो या फिर शहर में अवैध होर्डिंग पर कार्रवाई न करना। सबकुछ अधिकारियों की शह पर होने का आरोप लगता रहा है। यही वजह है कि गुजरे पांच साल से शहर में होर्डिंग के नए टेंडर ही नहीं हुए। 2015 में शहर की 191 साइटों के लिए तत्कालीन महापौर विनोद चमोली के कार्यकाल में दो सालों के लिए टेंडर हुए थे। तब यह टेंडर पहले से ही दून शहर में होर्डिंग का जिम्मा संभाल रही दिल्ली की कंपनी 'टवेंटी फोर इंटू सेवन' को दिया गया।
इसके तुरंत बाद ही यह टेंडर विवादों में आ गया। सिंडिकेट बनाकर टेंडर उठाने के आरोप लगे और एक कंपनी हाईकोर्ट चली गई। तब टेंडर निरस्त कर नए टेंडर कराने की बात चल रही थी कि टवेंटी फोर इंटू सेवन भी हाईकोर्ट पहुंच गई और हाईकोर्ट ने साल-2015 में ही शहर में नए टेंडर पर रोक लगा दी थी। उसके बाद शहर में नए टेंडर नहीं हुए क्योंकि इसकी सुनवाई हाईकोर्ट में लंबित थी।
नगर निगम एक्ट के अनुसार हर साल दस फीसद की बढ़ोत्तरी के साथ अब तक यह जिम्मा टवेंटी फोर इंटू सेवन कंपनी को ही देता रहा, मगर अब हाईकोर्ट से होर्डिंग के नए टेंडर का रास्ता साफ हो गया। टवेंटी फोर इंटू सेवन की याचिका निरस्त कर नगर निगम को नए टेंडर कराने के लिए हाईकोर्ट की अनुमति मिल गई है। मार्च में ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के जरिए नए टेंडर कराए जाएंगे।
आठ साल से है 'जुगलबंदी'
नगर निगम के लिए होर्डिंग का कारोबार वैध-अवैध दोनों तरीके से मोटे फायदे का माना जाता है। दरअसल, शहर में अनुमति तो महज 191 होर्डिंग लगाने की है लेकिन लगाए जाते हैं 300 से ज्यादा। वर्ष 2012 में होर्डिंग के 'खेल' की शुरुआत हुई। उस दौरान नगर निगम प्रशासन ने सांठगांठ कर दिल्ली की 'टवेंटी फोर इंटू सेवन' कंपनी को होर्डिंग का ठेका दिया। शुरुआत में ही कंपनी और निगम की जुगलबंदी खुल गई, जब शहर में अवैध होर्डिंग की बाढ़ सामने आ गई।
स्थिति ये हो गई कि एक साल के टेंडर को निगम प्रशासन ने मनमाने ढंग से दो साल के लिए आगे बढ़ा दिया। दबाव में साल 2015 मार्च में निगम ने होर्डिंग टेंडर कराए, लेकिन ये भी घपले की जद में रहे। दो साल के लिए हुआ टेंडर करार 2017 में खत्म हो गया, लेकिन निगम की मेहरबानी से बिना टेंडर 'टवेंटी फोर इंटू सेवन' पिछले तीन साल से ये जिम्मा संभाल रही।
ऐसे हुआ था टेंडर घपला
निगम अफसरों ने टेंडर में केवल चार ही कंपनियों को शामिल किया। इसमें सिंडिकेट बना हुआ था। दूसरी कंपनियों के आवेदनों को निरस्त कर दिया। टेंडर खुला तो हैरानी यह थी कि तीन कंपनियों के रेट एक जैसे थे और चौथी का रेट 5.90 करोड़ था। यह कंपनी कोई और नहीं बल्कि ट्वेंटी फोर इंटू सेवन ही थी। बाकी तीन कंपनियों ने अपना रेट टवेंटी फोर इंटू सेवन से सिर्फ छह लाख रुपये कम रखा हुआ था। तत्कालीन शहरी विकास मंत्री प्रीतम पंवार ने टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी पर शासन स्तर से जांच बैठा दी थी लेकिन यह जांच फाइलों में दफन हो गई।
शहर में अवैध होर्डिंग की बाढ़
नगर निगम ने राजधानी में होर्डिंग साइट की संख्या 191 तय की हुई है, मगर सूत्रों की मानें तो शहर में 300 से ज्यादा होर्डिंग लग रहे हैं। सौ से ज्यादा होर्डिंग निगम के अफसरों से सांठगांठ कर अवैध तरीके से लगाए जाते हैं। राजपुर रोड, चकराता रोड समेत सहस्रधारा रोड पर ऐसे दर्जनों अवैध होर्डिंग लगे हुए हैं।
हरिद्वार बाइपास पर होर्डिंग कैसे?
हरिद्वार बाइपास पर निगम को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने होर्डिंग बैन किए हुए हैं, लेकिन नगर निगम की सांठगांठ से कंपनी ने वहां धड़ल्ले से होर्डिंग लगाए हुए हैं। निगम ने पूर्व में यहां 20 होर्डिंग लगाने की मंजूरी दी थी, लेकिन एनएच अथॉरिटी द्वारा इसे नामंजूर कर दिया गया था।
शहर में डिजिटल होर्डिंग लगेंगे
दून शहर में अब दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों की तर्ज पर डिजिटल होर्डिंग की कवायद चल रही है। इसमें अलग-अलग समय के लिए फर्म अपना विज्ञापन स्लॉट बुक करा सकेंगी।
होर्डिंग में है माफियाराज
होर्डिंग कारोबार में माफियाराज हावी रहता है। सिंडिकेट बनाकर बड़ी कंपनियां छोटी कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में प्रतिभाग से वंचित कर देती हैं। बीते वर्षों में देखने में आया है कि बड़ी कंपनियों का इस मामले में वर्चस्व रहता है।
यह भी पढ़ें: जल्दबाजी और रोमांच के चक्कर में जान जोखिम में डालना सही नहीं
ये है होर्डिंग की तय संख्या
रोड यूनिपोल
राजपुर रोड 50
चकराता रोड 42
गांधी रोड 05
सहारनपुर रोड 20
जीएमएस रोड 11
सहस्रधारा रोड 20
रायपुर रोड 05
रेसकोर्स 06
मसूरी डायवर्जन 10
हरिद्वार बाइपास 20
रेस्टकैंप 02
कुल 191
यह भी पढ़ें: तेजी से बढ़ा जंक फूड का चलन, हर महीने 10 करोड़ का जंक फूड खा रहा दून
नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने बताया कि हाईकोर्ट ने नगर निगम की याचिका के बाद टेंडर पर लगाई रोक हटा दी है। मार्च में ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के जरिए नए होर्डिंग टेंडर कराए जाएंगे। इस बार सिंडिकेट सीधे बाहर होगा। प्रक्रिया में किसी भी तरह की धांधली न हो, इसलिए ई-टेंडरिंग होगी और वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी।
यह भी पढ़ें: खिलाड़ियों की ली सुध तो राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन में हुआ सुधार