'जुगाड़' से पानी के मीटर की खामियां छिपाने का प्रयास करा रहा है जल संस्थान
देहरादून में जल संस्थान की पेयजल योजना के तहत नत्थनपुर और नथुवावाला के उपभोक्ता अधिक बिलों से परेशान हैं। मीटर लगे होने के बावजूद, खपत से ज्यादा बिल आ रहे हैं। संस्थान मीटर की खामियों को छिपाने के लिए 'जुगाड़' का तरीका बता रहा है, जैसे कि यू-टाइप कनेक्शन। उपभोक्ताओं का आरोप है कि मीटर हवा से भी चल रहे हैं। कई शिकायतों के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।

नत्थनपुर क्षेत्र के एक पेयजल कनेक्शन में लगा यू-टाइप मीटर। जागरण
जागरण संवाददाता, देहरादून: जल संस्थान की विश्व बैंक वित्त पोषित पेयजल योजना से नत्थनपुर और नथुवावाला के अधिकांश उपभोक्ता बिल अधिक आने की समस्या से परेशान हैं।
मीटर से लैस इन पेयजल कनेक्शन के उपभोक्ताओं का आरोप है कि खपत से कई गुना अधिक बिल उनके पास पहुंच रहा है। पूर्व में भी कई उपभोक्ता आरोप लगाकर संस्थान की शाखा में हंगामा कर चुके हैं, जिसके बाद संस्थान ने कई के बिल दुरुस्त भी कराए।
अहम बात है कि संस्थान ऐसे उपभोक्ताओं को मीटर यू-टाइप में लगाने का जुगाड़ बता रहा है। इससे जाहिर है कि मीटर में खामी है और संस्थान उसे छिपाने के प्रयास में है।
देहरादून में करीब 1.50 लाख पेयजल कनेक्शन बिना मीटर के संचालित हैं। लेकिन नत्थनपुर और नथुवावाला क्षेत्र के लिए वर्ल्ड बैंक से वित्त पोषित पेयजल योजना बनी है, जिसका रखरखाव जलसंस्थान वर्ल्ड बैंक के मानकों के अनुसार करता है।
ऐसे में इस योजना के करीब 15 हजार कनेक्शन मीटर से लैस हैं। योजना संचालित होने के बाद से ही लोग बिल अधिक आने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन संस्थान मीटर की खामियों पर ध्यान न देकर उपभोक्ताओं को जुगाड़ बताने में लगा है।
दरअसल, योजना की वितरण लाइन से उपभोक्ता की कनेक्शन लाइन जुड़ने के बाद पानी घरों में पहुंचता है और इन्हीं दोनों लाइन के बीच में मीटर फिट होता है। जाहिर है कि अगर दोनों लाइन सीधे जुड़ रही हैं तो मीटर उनके बीच में लगना चाहिए।
लेकिन पेयजल बिल अधिक आने की शिकायत के बाद संस्थान वितरण लाइन से कनेक्शन लाइन को सीधे न जोड़कर, बल्कि ऊपर उठाने और मीटर लगाकर उसे नीचे घर से जोड़ने का जुगाड़ बता रहा है। कुल मिलाकर कनेक्शन लाइन को सीधे न रखकर उसे अंग्रेजी अक्षर के 'यू' का आकार देने की बात कही जा रही है।
..तो हवा का है चक्कर
योजना बनने के बाद से ही कई उपभोक्ताओं का आरोप था कि कनेक्शन में लगा मीटर हवा से भी दौड़ रहा है। पानी का प्रवाह न होने के बावजूद रीडिंग बढ़ रही है।
लेकिन संस्थान ने इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया और उपभोक्ताओं को यू-टाइप मीटर लगाने का जुगाड़ बताया। हालांकि, यू-टाइप मीटर लगने के बाद कुछ उपभोक्ताओं की रीडिंग थमी और उनकी खपत के अनुसार बिल आने लगा।
300 से अधिक उपभोक्ता अभी भी परेशान
अधिक पेयजल बिल आने की समस्या से 300 से अधिक उपभोक्ता अभी भी परेशान हैं। लेकिन, जल संस्थान का कहना है कि इन उपभोक्ताओं की लाइन और अंडरग्राउंड टैंक में लीकेज होने के कारण पानी की खपत अधिक हो सकती है।
हालांकि, संस्थान इन उपभोक्ताओं की समस्या के निदान के लिए इन्हें लीकेज दुरुस्त कराने के साथ जुगाड़ का रास्ता भी बता रहा है।
चार हजार खर्च करने के बावजूद मीटर में खामी
पेयजल कनेक्शन लेने में एक उपभोक्ता को न्यूनतम चार हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन इसके बावजूद उन्हें खामी भरा मीटर प्राप्त हो रहा है, जिसे लगाने के लिए वह जुगाड़ भी अपना रहे हैं।
बता दें कि 40 हजार लीटर तक पानी की खपत होने पर प्रत्येक दो महीने में 449 रुपये बिल आता है। जबकि इससे अधिक खपत होने पर 15.40 रुपये प्रति हजार लीटर की बिल में बढ़ोतरी होती है।
हमें योजनाओं के 70 प्रतिशत कनेक्शनों से निश्चित बिल प्राप्त हो रहे हैं। इन उपभोक्ताओं को कोई समस्या नहीं है। इसका सारा विवरण हमारे पास उपलब्ध है। कुछ लोगों की शिकायत शेष है, जिसका समाधान कराया जा रहा है। उपभोक्ता हवा से रीडिंग बढ़ने की शंका जता रहे थे, जिस कारण उन्हें यू-टाइप में लगाने की बात कही गई। ताकि पाइप लाइन में पानी भरा रहे और उनकी शंका दूर हो। मीटर में कोई खामी नहीं है।
- नमित रमोला, अधीक्षण अभियंता, जल संस्थान।

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