नमामि गंगे पर राजेंद्र सिंह का केंद्र पर निशाना
जागरण ब्यूरो, देहरादून: मैगसेसे पुरस्कार विजेता और जलपुरुष के नाम से प्रसिद्ध राजेंद्र सिंह ने नम
जागरण ब्यूरो, देहरादून: मैगसेसे पुरस्कार विजेता और जलपुरुष के नाम से प्रसिद्ध राजेंद्र सिंह ने नमामि गंगे योजना को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बीते साढ़े चार वर्षो में गंगा को अविरल व निर्मल बनाने की दिशा में कोई नया काम नहीं हुआ है। मां गंगा बहुत बीमार हैं और आइसीयू में भर्ती है। जो अपने को उनका बेटा बताते हैं वह उनका इलाज कराना भूल गए हैं। अब केंद्रीय मंत्री कह रहे हैं कि मार्च 2019 तक गंगा को स्वच्छ व निर्मल कराने के लिए सारे काम करा देंगे। ऐसा संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रो जीडी अग्रवाल (ज्ञान स्वरूप सानंद) के आमरण अनशन के रूप में गंगा को बचाने का आंदोलन प्रतीकात्मक रूप से एक बार फिर शुरू हो गया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रो जीडी अग्रवाल को आश्वासन संबंधी एक पत्र उन्हें दिया है जो वह उन्हें सौपेंगे।
बुधवार को राजपुर रोड स्थित एक होटल में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बुलावे पर देहरादून पहुंचे जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि गंगा बेसिन अथॉरिटी के समय गंगा को अविरल व निर्मल करने के लिए जो काम शुरू हुए थे, आज भी पूरे नहीं हुए। सरकार ने नमामि गंगे का अलग मंत्रालय बनाया लेकिन पहले उमा भारती को काम नहीं करने दिया गया। अब नितिन गडकरी को भी काम नहीं करने दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गंगा को लेकर ज्ञान स्वरूप सानंद (प्रो. जीडी अग्रवाल) एक मात्र ऐसे व्यक्ति हैं जो गंगा को समझते हैं। गंगा को डायगनोस कर सकते हैं और उनकी बीमारी का इलाज कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि गंगा को पूर्व स्वरूप में लाया जा सकता है। नमामि गंगे परियोजना के तहत 20 हजार करोड़ ही नहीं, दो लाख करोड़ भी खर्च करे तो गंगा ठीक होने वाली नहीं है। इसका कारण परियोजना के लिए बिना किसी प्लानिंग के प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गंगा ठीक हो सकती है इसके लिए जैसे वर्ष 2009 में सरकार ने भागीरथी में जो कदम उठाए थे, वैसे ही कदम अलकनंदा और मंदाकिनी के लिए भी उठाए जाने चाहिए। उन्होंने ऑल वेदर रोड के निर्माण कार्यो पर भी सरकार को घेरते हुए कहा कि इस पर जो कटान हो रहा है उससे सब खतरे में हैं। उसका मलबा बिना दीवार के नदी में गिराया जा रहा है। यदि पहाड़ों से पानी आया तो फिर वर्ष 2013 से भी अधिक तबाही आ सकती है। उन्होंने कहा कि हिमालय पर्यटन नहीं तीर्थाटन के लिए है। इसके सांस्कृतिक, सामाजिक व आर्थिक पहलू को समझ कर इस दिशा में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हिमालय व गंगा को बचाने के लिए लीगल फ्रेमवर्क की जरूरत है। जिससे इनका डिजास्टर रोका जा सकता है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वह आधे पॉलिटिशियन और आधे वॉटर एक्टिविस्ट हैं। आज दुनियाभर में पानी कम हो रहा है। भारत के सामने भी यह चुनौती बना हुआ है। इस चिंता के समाधान पर प्रकाश डालने के लिए जलपुरुष राजेंद्र सिंह को बुलाया गया है।