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पेयजल आपूर्ति के जिम्मेदार अधिकारी नींद में, टैंकर वालों की चांदी

गर्मी बढ़ने के साथ ही देहरादून में पेयजल संकट गहराने लगा है। इसके विपरीत जिम्मेदार अधिकारी नींद में हैं। वहीं, निजी टैंकर वाले पानी की आपूर्ति के धंधे में चांदी काट रहे हैं।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 01:27 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 09:50 PM (IST)
पेयजल आपूर्ति के जिम्मेदार अधिकारी नींद में, टैंकर वालों की चांदी
पेयजल आपूर्ति के जिम्मेदार अधिकारी नींद में, टैंकर वालों की चांदी

देहरादून, [जेएनएन]: शहरी क्षेत्रों में कम से कम 135 लीटर और ग्रामीण क्षेत्रों में 70 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रति दिन उपलब्ध कराना जल संस्थान की जिम्मेदारी है। जबकि, गर्मियां शुरू होते ही यह आपूर्ति क्रमश: 100 और 50-60 लीटर पर सिमट जाती है। इस तरह दून में प्रतिदिन लोगों को 59 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) पानी कम मिल रहा है। हालांकि इस कमी को पूरा करने की जिम्मेदारी जल संस्थान की है, लेकिन लोग निजी टैंकरों के भरोसे हैं। यह कोई 'प्रभु सेवा' भी नहीं है, बल्कि निजी टैंकर संचालक इस कमी का फायदा उठाकर जनता से हर माह करीब छह करोड़ रुपये की कमाई कर रहे हैं।

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इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे कि मांग से अधिक आपूर्ति होने के बाद भी लोगों को न सिर्फ 59 एमएलडी पानी कम मिल रहा है, बल्कि इस कमी को पूरा करने के लिए भी जल संस्थान के हाथ तंग हैं। क्योंकि जल संस्थान के पास महज तीन ही टैंकर हैं। इसमें दो टैंकर उत्तर जोन के पास हैं और एक टैंकर पित्थूवाला जोन के पास है। जल संस्थान की इसी 'असमर्थता' का नतीजा है कि शहर में निजी टैंकरों की संख्या 2100 पार हो चुकी है। 

कहने को तो ये टैंकर जल संस्थान के लिए भी काम करते हैं, लेकिन उससे कहीं अधिक पानी के नाम पर लोगों से उगाही की जाती है। एक अनुमान के मुताबिक, यह आंकड़ा हर माह कम से कम छह करोड़ रुपये पार कर जाता है। जल संस्थान के पास अपने टैंकर नहीं हैं, लिहाजा वह इन टैंकरों से अपना काम निकालने के साथ-साथ अधिकारी इनकी मनमानी सहने को भी विवश रहते हैं।

इस तरह चलता है पानी का धंधा

- जल संस्थान किसी सप्लायर को एक टैंकर जलापूर्ति के लिए कहता है तो कम दूरी पर एक टैंकर मुफ्त और अधिक दूरी पर दो से तीन टैंकर मुफ्त पानी जल संस्थान के स्रोत से भरने की इजाजत दी जाती है। जबकि, हकीकत यह है कि इस आंतरिक समझौते के बूते सप्लायर दिनभर पानी का धंधा चलाते हैं।

- निजी सप्लायर लोगों से प्रति टैंकर कम से कम 500 रुपये की वसूली करते हैं।

- जो सप्लाई जल संस्थान के माध्यम से की जाती है, उसमें जरूरतमंदों की सूची लंबी होने के चलते आधा टैंकर ही पहुंचाया जाता है। ऐसे में लोगों को अतिरिक्त पानी खरीदना ही पड़ता है।

इन स्रोतों का दोहन करते हैं सप्लायर

कनक सिनेमा, नेहरू कॉलोनी, पित्थूवाला, सरस्वती विहार।

अवैध बोरवेल की बाढ़

पानी के धंधेबाज न सिर्फ जल संस्थान के ट्यूबवेल से चांदी काट रहे हैं। बल्कि शहर में ऐसे तमाम अवैध बोरवेल हैं, जिनसे रात-दिन लोगों को पानी बेचा जाता है। गंभीर यह है कि इस बोरवेल के पानी की जांच भी नहीं की जाती। 

केंद्रीय भूजल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक कुछ स्थानों पर भूजल में नाइट्रेट व आयरन की मात्रा अधिक है। इस तरह निजी टैंकर कैसा पानी मुहैया करा रहे हैं, इसकी गुणवत्ता की भी कोई गारंटी नहीं है। क्योंकि अधिकतर बोरवेल 150 से 200 फीट तक ही गहरी खुदाई वाले होते हैं। यह भी स्पष्ट है कि खुदाई जितनी कम होगी, गुणवत्ता उतनी ही कम रहेगी।

टैंकरों के धंधे पर एक नजर

- सप्लायरों की संख्या 500 पार और टैंकर 2100 से अधिक।

- एक टैंकर की क्षमता 3500-4500 लीटर।

- प्रति टैंकर एक दिन में करीब 10 हजार लीटर पेयजल सप्लाई की जाती है।

- सभी टैंकर प्रतिदिन 2.10 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति करते हैं।

- प्रतिदिन की कमाई करीब 20 लाख पार और एक माह में छह करोड़ रुपये से अधिक।

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