वोट बैंक से बिगड़ी रिस्पना और बिंदाल नदी की सूरत, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदी की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है इसकी इस स्थिति के लिए आम आदमी के साथ जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार हैं। जिन्होंने वोट के खातिर इसकी सूरत बिगाड़ दी है।
देहरादून, संतोष भट्ट। राजधानी में रिस्पना और बिंदाल नदी की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है इसकी इस स्थिति के लिए आम आदमी के साथ जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार हैं। जिन्होंने वोट के खातिर इसकी सूरत ही बिगाड़ कर रख दी है। राज्य गठन के बाद स्थिति और ज्यादा खराब हुई है वर्तमान में हालात यह है कि दोनों नदियां अतिक्रमण ,सीवर और कचरे की जद में अपना अस्तित्व ही खो रही है। सरकार ने इन नदियों की दशा सुधारने की योजना बनाई थी लेकिन कुछ कदम चलकर इस अभियान ने भी दम तोड़ दिया।
यह दोनों नदियों कभी दून की पहचान हुआ करती थी लेकिन दून शहर ने विस्तार लेना शुरू किया वैसे-वैसे इन नदियों के किनारों पर अतिक्रमण बढ़ता गया। अतिक्रमण कराने में जनप्रतिनिधियों की अहम भूमिका रही कभी प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की हिम्मत भी जुटाई तो वोट की खातिर नेता सामने आ गए। जिससे बेखौफ होकर नदियों के किनारे अतिक्रमण बढ़ने लगा अब हालात यह है कि नदियों का उपयोग अब केवल कचरा डंप करने और सीवर बहाने के लिए किया जा रहा है।
इससे इन नदियों में जहर घुल रहा है। जिससे दून का स्वच्छ वातावरण प्रदूषित हो रहा है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान और निर्मल गंगा अभियान में भी इन नदियों की सूरत संवारने की योजना धरातल पर नहीं उतर पाई। सिर्फ फोटो खींचवाने के लिए कुछ जगह सफाई जरूर की गई, लेकिन आगे नदियों को उनके हाल पर छोड़ दिया। अब स्थिति यह है कि नदी में कई टन कचरा जमा हो गया है। नदियों में नालियां खोलकर सीवर की निकासी कर दी गई है जिससे आसपास रहने वालों का रहना दुभर हो गया है। जब सुध लेने वाले ही इसकी सूरत बिगाड़ने में लगे हो तो भविष्य में किसी सार्थक पहल की उम्मीद बेमानी लगती है।
नदी में बिछा दी सीवर लाइन: रिस्पना नदी में तो जिम्मेदारों ने सीवर की लाइन बिछा दी। इससे आधा सीवर लाइन में और आधा नदी में बहता है। बिजली विभाग ने तो नदी तट और आधे हिस्से में बिजली के पोल खड़े कर दिए। टैक्सी यूनियन ने आधी नदी को स्टैंड बना दिया। यह काम रिस्पना यानि विधानसभा के सामने हो रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नदियों को संवारने में हमारे जनप्रतिनिधि कितने गंभीर हैं।
रिवर फ्रंट योजना पर सवाल
एमडीडीए ने वर्ष 2018 में गुजरात की सबरमती और लखनऊ की गोमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर रिस्पना और बिंदाल की सूरत संवारने के लिए करीब 1750 करोड़ रुपये की योजना बनाई थी। मगर, यह योजना धरातल पर कम कागजों में ज्यादा सक्रिय नजर आई। जिससे नदियों की दशा सुधारने की मुहिम आगे नहीं बढ़ पाई।
पौध रोपण से जगी थी उम्मीद
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी रिस्पना और बिंदाल नदियों को संवारने का बीड़ा उठाया। सीएम के विशेष अभियान के तहत रिस्पना नदी में जुलाई 2018 में दो लाख से ज्यादा पौधे रोपने के दावे किए गए। लेकिन पौध रोपण के बाद बिना देखरेख के इन पौधों की क्या दशा हुई होगी यह किसी से छिपी नहीं है।
ये काम थे प्रस्तावित
- रिस्पना और बिंदाल के दोनों तरफ बननी थी सड़क।
- पर्यटकों के लिए साइकिल ट्रैक भी योजना में शामिल।
- नदी के तट को ग्रीन बेल्ट से संवारने की योजना।
- सीवरेज, गारबेज के लिए अलग से करनी थी व्यवस्था।
- स्थान के उपलब्धता पर बनने थे कॉम्पलेक्स।
- दोनों नदियों के किनारे बननी थी मल्टीलेवल पार्किंग और पार्क।
अतिक्रमण की जद में नदियां
रिस्पना नदी अपने मुहाने यानि मसूरी से ही अतिक्रमण की चपेट में है। रायपुर और सहस्रधारा वाले इलाके में दोनों तरफ बसी बस्तियां अभी नई है। लेकिन इसके बाद ब्रहमावाला खाला, नालापानी, अधोईवाला, चूना भट्टा, रिस्पना बस्ती, दीपनगर, एमडीडीए कॉलोनी, मोथरोवाला, सपेरा बस्ती तथा बिंदाल में कैंट, लाल गेट, बिंदाल बस्ती, गोविंदगढ़, कांवली रोड, पटेलनगर, ब्रहमपुरी, कारगी बस्ती से लेकर क्लेमनटाउन तक दोनों तरफ अतिक्रमण है।
बड़ा मुद्दा
- नदियों में बहाया जा रहा है सीवर और कचरा किया जा रहा है डंप
- नदियों की दशा सुधारने के लिए बनी योजना भी धरातल में नहीं उतर पाई
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