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लॉकडाउन में जल संरक्षण की मुहिम में जुटे उत्तराखंड के गांव, बनाए जा रहे छोड़े-बड़े तालाब

उत्‍तराखंड के लोग सप्ताहभर से जल संरक्षण की मुहिम में जुटे हुए हैं। इसके तहत गांवों के इर्द-गिर्द बारिश की बूंदों को सहेजने के लिए पारंपरिक तरीके से खाल-चाल बनाए जा रहे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2020 09:13 AM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 09:23 PM (IST)
लॉकडाउन में जल संरक्षण की मुहिम में जुटे उत्तराखंड के गांव, बनाए जा रहे छोड़े-बड़े तालाब
लॉकडाउन में जल संरक्षण की मुहिम में जुटे उत्तराखंड के गांव, बनाए जा रहे छोड़े-बड़े तालाब

देहरादून, राज्य ब्यूरो। लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड के गांवों से अच्छी खबर आई है। राज्य के 92 विकासखंडों में 40 हजार से अधिक लोग सप्ताहभर से जल संरक्षण की मुहिम में जुटे हुए हैं। इसके तहत गांवों के इर्द-गिर्द बारिश की बूंदों को सहेजने के लिए पारंपरिक तरीके से खाल-चाल (छोटे-बड़े तालाब) बनाए जा रहे तो जल संरक्षण में सहायक पौधों के रोपण की कसरत भी चल रही है। बात यहीं खत्म नहीं होती, आने वाली खरीफ की फसलों की सिंचाई के लिए खेतों तक निर्बाध रूप से पानी पहुंचे, इसके लिए क्षतिग्रस्त नहरों व गूलों की मरम्मत भी शुरू की गई है।

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केंद्र सरकार से लॉकडाउन के दौरान मिले संबल के बूते यह मुहिम शुरू हो पाई है। दरअसल, केंद्र सरकार ने हाल में लॉकडाउन के दौरान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत कार्य शुरू करने को सशर्त छूट दी थी। साथ ही इसमें जल संरक्षण से संबंधित कार्यों को तवज्जो देने पर जोर दिया गया था।

उत्तराखंड ने केंद्र की इस गाइडलाइन के अनुरूप मनरेगा के तहत गांवों में जल संरक्षण से जुड़े कार्य शुरू कराने का निर्णय लिया। कोशिशें हुईं और फिर कार्य की मांग सामने आने के बाद 20 अप्रैल से राज्य के सभी जिलों के 95 में से 92 विकासखंडों में जल संरक्षण के कार्यों के लिए मनरेगा की गाड़ी दौड़ पड़ी। मनरेगा के राज्य समन्वयक मोहम्मद असलम बताते हैं कि इन विकासखंडों के गांवों में 6211 कार्यों के मस्टररोल जारी किए गए हैं, जिनमें से 3629 में कार्य तेजी से चल रहे हैं।

वह बताते हैं कि स्थानीय ग्रामीण बारिश की बूंदों को सहेजने को जल संरक्षण के पारंपरिक तौर तरीकों से खाल-चाल बना रहे हैं। साथ ही जलस्रोतों के संरक्षण के मद्देनजर इनकी सफाई और इनके इर्द-गिर्द जल संरक्षण में सहायक पौधे लगाने का क्रम शुरू किया किया गया है। कई गांवों में क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों व गूलों की मरम्मत की जा रही है। 40172 लोग इन कार्यों में जुटे हैं। इसके जरिये जहां लोग जल संरक्षण के साथ ही पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहे हैं, वहीं उन्हें गांव में रोजगार भी मिला है। शारीरिक दूरी समेत अन्य मानकों का भी पालन किया जा रहा है।

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