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पौड़ी के कंडरह गांव के ग्रामीणों ने कंधों पर डंडी के सहारे महिला को पांच किमी दूर पहुंचाया अस्पताल

ताल घाटी में दिवोगी ग्रामसभा के कंडरह गांव निवासी एक महिला को ग्रामीणों ने ऐसे ही पांच किमी तक कंधों पर डंडी के सहारे दो घंटे की दूरी तय कर अस्पताल पहुंचाया।

By Sumit KumarEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 06:15 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2020 06:15 PM (IST)
पौड़ी के कंडरह गांव के ग्रामीणों ने कंधों पर डंडी के सहारे महिला को पांच किमी दूर पहुंचाया अस्पताल
पौड़ी के कंडरह गांव के ग्रामीणों ने कंधों पर डंडी के सहारे महिला को पांच किमी दूर पहुंचाया अस्पताल

ऋषिकेश,जेएनएन। पौड़ी जनपद में यमकेश्वर प्रखंड के ताल घाटी में ग्रामीणों का जीवन यूं तो हमेशा ही चुनौतियों के साथ गुजरता है। मगर, मानसून काल में यह क्षेत्र दूसरी दुनिया बन जाता है। खास करके गांवों में यदि बुजुर्ग और महिलाओं की तबीयत बिगड़ जाए तो उन्हें अस्पताल पहुंचाना किसी अग्नि परीक्षा से गुजरने जैसा है। ताल घाटी में दिवोगी ग्रामसभा के कंडरह गांव निवासी एक महिला को ग्रामीणों ने ऐसे ही पांच किमी तक कंधों पर डंडी के सहारे दो घंटे की दूरी तय कर अस्पताल पहुंचाया।

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 मानसून काल में बीन नदी और ताल नदी में बहाव के चलते इस क्षेत्र में बसे गांवों का संपर्क कट जाता है। इन गांवों से जो सड़कें तीन से पांच किलोमीटर की दूरी पर हैं, वहं भी भूस्खलन और बरसात में चट्टानों के टूटने से बंद हो जाती हैं। ऐसे में क्षेत्र का संपर्क ही शेष दुनिया से कट जाता है। मंगलवार की सुबह दिवोगी ग्रामसभा के कंडरह गांव निवासी पुष्पा देवी (58 वर्ष) पत्नी स्व. राजेन्द्र सिंह रावत की तबीयत अचानक खराब हो गयी। नजदीक कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। लिहाजा महिला को उपचार के लिए ऋषिकेश पहुंचाना जरूरी था। शुक्र रहा कि इन दिनों लॉकडाउन के चलते गांवों में कुछ युवा घरों में हैं। जिसके बाद महिला के पुत्र हरिमोहन व गांव के युवा दीपक रावत, आलोक आदि ने पीनस (बीमार व असमर्थ व्यक्तियों को कंधें पर ले जाने के लिए बनी विषेश डंडी) पर बिठाकर करीब पांच किलोमीटर दूर ऊबड़ खाबड़ रास्ते और चढ़ाई पार कर दो घंटे की मशक्कत के बाद विजर खातर (रामजीवाला) पहुंचाया। यहां से वाहन की मदद से महिला को ऋषिकेश चिकित्सालय पहुंचाया गया।

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1951 की बनी है पुरानी सड़क

ऐसा नहीं कि ताल घाटी को जोड़ने के लिए कोई सड़क न हो, बल्कि यहां 1951 में गंगा भोगपुर से बिंधवासिनी मंदिर होते हुए तालेश्वर महादेव मंदिर तक सड़क बनी है। नदी के किनारे होने के कारण यहां बरसात में नदी के बहाव से सड़क टूट-फूट जाती है। जिससे यहां वाहनों की आवाजाही नहीं हो पाती। लंबे समय से राजाजी पार्क प्रशासन व रिजर्व फारेस्ट इस मार्ग को गश्ती मार्ग के तौर पर दुरुस्त करते आ रहे हैं। स्थानीय निवासी व समाजसेवी हरीश कंडवाल का कहना है कि यदि इस मार्ग को तालेश्वर महादेव से तीन किलोमीटर आगे और बनाया जाए तो यह मार्ग कांडाखाल से जुड़ जाएगा। जिससे ताल घाटी को स्थाई सड़क मिल जाएगी। इस संबंध में कई बार जन प्रतिनिधियों को प्रस्ताव भेजे गए हैं। मगर, अभी तक उपेक्षा ही होती आई है।

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