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सरकार ने मुंह फेरा तो खुद सड़क बनाने में जुटे सिस्टम से खफा ग्रामीण

पौड़ी जिले के नैनीडांडा ब्लॉक स्थित आंसौ-बाखली के ग्रामीणों ने दिगोलीखाल-आसौं-कीमू रौला मोटर मार्ग के अवशेष तीन किमी हिस्से के निर्माण को खुद कमर कस ली है।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 12:41 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 12:41 PM (IST)
सरकार ने मुंह फेरा तो खुद सड़क बनाने में जुटे सिस्टम से खफा ग्रामीण
सरकार ने मुंह फेरा तो खुद सड़क बनाने में जुटे सिस्टम से खफा ग्रामीण

देहरादून। हरीश रावत। पहाड़ का शायद ही कोई हिस्सा होगा, जहां लोग सिस्टम की बेरुखी से खफा न हों। एक ओर जहां सीमांत चमोली जिले के स्यूणी मल्ली के ग्रामीण श्रमदान कर छह किमी सड़क बनाने में जुटे हैं। वहीं, अब पौड़ी जिले के नैनीडांडा ब्लॉक स्थित आंसौ-बाखली के ग्रामीणों ने दिगोलीखाल-आसौं-कीमू रौला मोटर मार्ग के अवशेष तीन किमी हिस्से के निर्माण को खुद कमर कस ली है। उन्होंने संकल्प लिया है कि 26 जनवरी तक वे गांव तक सड़क पहुंचा देंगे। 

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पौड़ी जिले की गुजड़ू पट्टी का आसौं-बाखली क्षेत्र आजादी के बाद से ही मोटर मार्ग के लिए तरस रहा है। ग्रामीणों के लगातार संघर्ष के बाद वर्ष 2005 में सरकार ने दिगोलीखाल-आसौं-कीमू रौला 10 किमी मोटर मार्ग को स्वीकृति प्रदान की। इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने सड़क निर्माण का कार्य शुरू भी किया, लेकिन सात किमी कटान के बाद कार्य रोक दिया गया। 

कार्यदायी संस्था कभी ग्रामीणों के बीच विवाद तो कभी वन अधिनियम का हवाला देकर निर्माण को लटकाती रही और देखते-देखते 13 वर्ष यूं ही गुजर गए। इस कालखंड में ग्रामीण ने शासन-प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक की चौखट पर कई बार हाजिरी बजाई। सिवाय कोरे आश्वासनों के कुछ हाथ न आया। 

आखिरकार, इस बेरुखी से आजिज आकर ग्रामीणों ने स्वयं ही चंदा एकत्र कर गांव तक सड़क पहुंचाने का संकल्प लिया और सोमवार को मकर संक्रांति से इस भगीरथ प्रयास में जुट भी गए। इस मौके पर जिला पंचायत सदस्य नारायण सिंह रावत, गोपाल शरण तोमर, गोपाल बिष्ट, दयाल रावत, बख्तावर तोमर, नारायण बिष्ट, गोविंद राम, जगमोहन खाती, कुलदीप, नंदन, बालम डिमरी आदि ग्रामीण उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में निर्णय लिया कि 26 जनवरी तक गांव में सड़क पहुंचाकर गणतंत्र दिवस को यादगार बनाएंगे। 

बेहद जटिल है गांव की स्थिति 

आसौं-बाखली पौड़ी जिले के नैनीडांडा ब्लॉक का आखिरी गांव है। इस गांव की सीमा अल्मोड़ा जिले के सल्ड ब्लॉक की सीमा से लगी हुई है। क्षेत्र के संजय सिंह बिष्ट ने बताया कि इस मार्ग के बन जाने से 25 से 30 गांवों को सीधा लाभ मिलेगा। 

वर्तमान में ग्रामीणों को ब्लॉक मुख्यालय नैनीडांडा व तहसील मुख्यालय धुमाकोट पहुंचने के लिए चार किमी की खड़ी चढ़ाई पैदल नापने के बाद 35 किमी का सफर वाहनों से तय करना पड़ता है। 

बताना जरूरी है कि धुमाकोट-किनगोड़ीखाल मार्ग पर मात्र एक बस चलती है। यदि गांव से सड़क तक पहुंचने में थोड़ा भी विलंब हो जाए तो फिर पूरा सफर पैदल ही तय होता है। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी यह क्षेत्र पूरी तरह रामनगर पर निर्भर है। बीमार को सड़क तक लाने के लिए चारपाई का सहारा लेना पड़ता है। 

ग्रामीणों का प्रयास सराहनीय 

लैंसडौन क्षेत्र के विधायक दिलीप रावत के अनुसार यह क्षेत्र मेरी विधानसभा का हिस्सा है। लेकिन, ग्रामीणों में विवाद के चलते सड़क नहीं बन पा रही थी। वर्तमान में मैंदोली व बाखली के लिए अलग-अलग सड़क स्वीकृत हो गई हैं। ग्रामीणों का प्रयास सराहनीय है।

ग्रामीणों ने सात दिनों में बना दी 60 मीटर सड़क

चमोली जिले में गैरसैंण नगर मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 109 पर स्थित आगरचट्टी से सात किलोमीटर खड़ी चढ़ाई पर बसे स्यूणी मल्ली के ग्रामीणों का सड़क आंदोलन सप्ताहभर से जारी है। ग्रामीण जल्दी ही महापंचायत करेंगे, जिसमें आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।

छह किलोमीटर बनने वाली इस सड़क में से ग्रामीण अब तक 60 मीटर सड़क बना चुके हैं। शासन की उपेक्षा से नाराज ग्रामीण 8 जनवरी से खुद श्रमदान कर सड़क निर्माण के लिए खुदाई कार्य में जुटे हैं। सात दिनों में ग्रामीणों ने 60 मीटर से अधिक सड़क तैयार कर ली है। 

यही नहीं, गांव के समीप स्यूणीमल्ली 0 किमी का पिल्लर खड़ा कर मोटर स्टैंड भी घोषित कर दिया है। ग्राम प्रधान लीला देवी ने बताया कि सड़क के अभाव में गांव से पलायन कर चुके प्रवासी सड़क निर्माण में सहयोग के लिए गांव पहुंच रहे हैं। 

ग्रामीणों ने ब्लॉक प्रधान संघ व बीडीसी सदस्यों से सहयोग की अपील की है। सड़क संघर्ष समिति अध्यक्ष जमन सिंह बिष्ट ने बताया कि जल्द ही गांव में महापंचायत आयोजित कर आगामी रणनीति बनाई जाएगी। 

सोमवार को वार्ड-एक के सदस्य पदम सिंह की अगुआई में कोतवाल सिंह, ध्यान सिंह, अजीत सिंह, कुंवर सिंह, जवाहर सिंह, गैणी देवी, गुड्डी देवी, कमला देवी, नंदन सिंह सहित वार्ड के सभी निवासी सड़क खुदाई में शामिल रहे।

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