गुलदार के हमले थामने के लिए बनाई जाएगी विलेज प्रोटेक्शन फोर्स
हरिद्वार रायवाला ऋषिकेश व डोईवाला के गुलदार प्रभावित सात गांवों में अब विलेज प्रोक्टेशन फोर्स बनाई जाएगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार, रायवाला, ऋषिकेश व डोईवाला के गुलदार प्रभावित सात गांवों में अब विलेज प्रोक्टेशन फोर्स बनाई जाएगी। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसके अलावा क्षेत्र के गांवों में रैपिड रेस्पांस टीम गठित करने और जनजागरण के उद्देश्य से स्कूल एंबेसेडर बनाने का निश्चय भी किया गया। इन कार्यों में विश्व प्रकृति निधि (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) और तितली ट्रस्ट भी सहयोग देंगे। यही नहीं, क्षेत्र में गुलदारों की अधिक सक्रियता को देखते हुए भारतीय वन्यजीव संस्थान से गहन अध्ययन कराने का निर्णय भी लिया गया।
हरिद्वार, रायवाला, ऋषिकेश व डोईवाला के करीब 80 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में करीब 40 गुलदारों की लगातार सक्रियता ने नींद उड़ाई हुई है। क्षेत्र में पांच साल में गुलदारों के हमलों में 26 लोगों की जान जा चुकी है। हाल में ही विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने लगातार गहराती इस समस्या के निदान के मद्देनजर वन विभाग के अधिकारियों को तत्काल जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए थे। इस क्रम में विभाग ने कवायद शुरू कर दी है।
इस सिलसिले में मंगलवार को वन भवन में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में गुलदार के हमलों को थामने के मद्देनजर ऐसे कदम उठाने पर जोर दिया गया, जिसमें मनुष्य व गुलदार दोनों महफूज रहें। बात सामने आई कि इस क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग पर गुलदारों के हमले थमे हैं, मगर नजदीकी गांवों में ये बढ़े हैं। सात गांव सबसे अधिक प्रभावित हैं।
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के अनुसार इन सात गांवों में विलेज प्रोटेक्शन फोर्स गठित की जाएगी। इसमें स्वयंसेवक के तौर पर सेवाएं देने वाले ग्राम प्रहरियों को निश्चित मानदेय के साथ ही वर्दी, छतरी, टॉर्च जैसी सुविधाएं भी दी जाएंगी। इसके अलावा स्वयंसेवकों की रैपिड रिस्पांस टीम गठित की जाएगी, जो कहीं भी गुलदार का हमला होने पर कार्रवाई करने के साथ ही गुलदार से बचाव के तौर-तरीकों से ग्रामीणों को अवगत कराएगी। जनजागरण के लिए क्षेत्र के स्कूलों में विद्यार्थियों को स्कूल एंबेसेडर बनाया जाएगा।
इस बात पर भी जोर दिया गया कि क्षेत्र में गुलदारों की अधिक सक्रियता के कारणों की गहनता से पड़ताल के मद्देनजर भारतीय वन्यजीव संस्थान से गहन अध्ययन करा लिया जाए। इस अध्ययन रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। बैठक में गुलदारों की मॉनीटङ्क्षरग, उन्हें आबादी की तरफ आने से रोकने को वन सीमा पर फैंसिंग व दीवार समेत अन्य कदम उठाने का निर्णय लिया गया। बैठक में राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रो, विश्व प्रकृति निधि के एके सिंह, तितली ट्रस्ट के संजय सोढ़ी, सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी आके मिश्रा आदि मौजूद थे।
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महाराष्ट्र मॉडल को भी अपनाएंगे
गुलदार प्रभावित इस क्षेत्र में महाराष्ट्र मॉडल को भी अपनाया जाएगा। बता दें कि महाराष्ट्र में गुलदारों के हमलों से बचाव के लिए इनके साथ रहने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। इससे वहां गुलदारों के हमलों में कमी आई है। इस मॉडल को यहां भी धरातल पर उतारा जाएगा। इसके लिए महाराष्ट्र से विशेषज्ञों की टीम यहां आएगी। साथ ही यहां से वनकर्मियों को प्रशिक्षण के लिए महाराष्ट्र भेजा जाएगा। इस बात पर भी बैठक में सहमति बनी।