जांच की आंच में न आएं करीबी, बच रही विजिलेंस
उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के घपले-घोटालों में कई बड़े नाम अभी जांच के दायरे से बाहर हैं। मिश्रा के करीबियों तक पहुंचने विजिलेंस प्रयास नहीं कर रही है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के घपले-घोटालों में कई बड़े नाम अभी जांच से बाहर हैं। खासकर एक करोड़ के घपले की पुष्टि होने के बाद उसमें सिर्फ फर्म और मिश्रा के परिवार के लोग शामिल थे, यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। विजिलेंस के अधिकारी भी इशारा तो दे रहे हैं, मगर कार्रवाई के नाम पर महज जांच की बात कही जा रही है। ऐसे में करोड़ों के घपले की जांच मिश्रा को शह देने वालों तक नहीं पहुंच पा रही है।
निलंबित कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा का उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय से लेकर आयुर्वेद विवि तक का विवादों का सफर रहा है। इस दौरान को शह देने वालों में सत्ता से लेकर शासन तक बैठे कई अफसरों के नाम भी चर्चाओं में रहे। आयुर्वेद विवि में उनको कुलसचिव बनाने से लेकर हटाने के बाद अपर स्थानिक आयुक्त दिल्ली तक पहुंचाने में भी कुछ खास लोगों का सहयोग मिश्रा को रहा। विजिलेंस की खुली जांच शुरू हुई तो इसमें भी मिश्रा स्वयं को पाक साफ करने की कोशिश में जुटा रहा। इस बीच सरकार का स्टिंग ऑपरेशन में नाम आया तो मिश्रा के खास लोगों ने दूरी बनानी शुरू कर दी। मौका मिलते ही मिश्रा को जेल भेज दिया गया। विजिलेंस के अधिकारी भी कह रहे हैं कि घपले में शामिल लोगों की संख्या ज्यादा है। लेकिन, उन तक कब जांच की आंच पहुंचेगी, इस पर चुप्पी साध रहे हैं। अभी तक सिर्फ घपले में शामिल फर्म की संचालिका शिल्पा त्यागी, नूतन रावत से पूछताछ चल रही है। इसके अलावा विवि में मिश्रा के करीबी भी फिलहाल जांच से बाहर हैं।
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पूरी जांच निष्पक्षता के साथ चल रही है। एक-एक सबूत जुटाने के बाद इस प्रकरण में जो भी आरोपित होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अभी जांच शुरुआती दौर में है।
राम सिंह मीणा, निदेशक विजिलेंस