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Doon University: कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल बोलीं, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनेगा दून विश्वविद्यालय

दून विश्वविद्यालय की नवनियुक्त कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि दून विवि को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाएगा। विवि के शोध कार्यों का लाभ सीधे राज्य के जनमानस को मिले इसके लिए विवि स्तर पर जवाबदेही तय होगी।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 10:52 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 10:52 AM (IST)
Doon University: कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल बोलीं, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनेगा दून विश्वविद्यालय
प्रो. सुरेखा डंगवाल बोलीं, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनेगा दून विश्वविद्यालय।

जागरण संवाददाता, देहरादून। दून विश्वविद्यालय की नवनियुक्त कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि दून विवि को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाएगा। विवि के शोध कार्यों का लाभ सीधे राज्य के जनमानस को मिले, इसके लिए विवि स्तर पर जवाबदेही तय होगी। उत्तराखंड के पर्यावरण पर न केवल अध्ययन को विस्तार दिया जाएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी विवि अहम भूमिका अदा करेगा।

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हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विवि में अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेखा डंगवाल को शनिवार को राज्यपाल बेबीरानी मौर्य की ओर से दून विवि का कुलपति नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की गई। बतौर कुलपति अपनी नई पारी शुरू करने से पहले प्रो. सुरेखा डंगवाल ने अपनी भावी योजनाओं को दूरभाष पर 'दैनिक जागरण' के साथ साझा किया। कहा कि दून विवि छोटा जरूर है, लेकिन अपनी उपयोगिता के लिए प्रदेश में विशिष्ट स्थान रखता है। 

दून विवि में नई शिक्षा नीति को प्रभारी ढंग से लागू करने की चुनौती से पार पाने की वृहद कार्ययोजना बनाई जाएगी। साथ ही राज्य के जल, जंगल व जमीन के संरक्षण को लेकर शोध किए जाएंगे। उन्होंने अपनी नियुक्ति के लिए राज्यपाल बेबीरानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत का आभार व्यक्त किया।

33 वर्षों का अध्यापन और शोध का अनुभव

दून विवि की नवनियुक्त कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल को 33 वर्षों का अध्यापन और शोध का अनुभव है। उनके निर्देशन में 19 शोध छात्रों ने पीएचडी व 30 छात्रों ने एमफिल की उपाधि प्राप्त की है। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल व पुस्तकों में इनके 55 शोध पत्र अभी तक प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने कुछ स्थानीय कवियों व लेखकों की कृतियों को अंग्रेजी में अनुवाद किया। इनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में 'हिन्दुइज्म इन टीएस इलियट्स राइटिंग्स, द आर्ट ऑफ इफेक्टिव कम्युनिकेशन एंड लर्निंग इंग्लिश लैंग्वेज थूर लिटे्रचर' मुख्य हैं। 

यूजीसी की ओर से आवंटित की गई दो वृहद शोध परियोजनाएं इनके निर्देशन में पूर्ण हो चुकी हैं। प्रो. सुरेखा डंगवाल को जर्मनी की प्रतिष्ठित डीएएडी फेलोशिप मिली है, जिसमें उन्हें जर्मनी स्थित हैनोवर विवि में तीन माह का शोध करने का अवसर मिला। प्रो. सुरेखा अविभाजित उत्तर प्रदेश में चार वर्षों तक उत्तर प्रदेश हिल इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन (हिल्ट्रॉन) की अध्यक्ष रहीं। उन्हें एचएनबी गढ़वाल विवि प्रथम महिला अधिष्ठाता छात्र कल्याण के पद पर रहने का भी गौरव प्राप्त है।

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