पहाड़ों में घराट को तकनीकी से जोड़े यूटीयू : कुलपति
त्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) पहाड़ के दूरदराज क्षेत्रों में पारंपरिक पनचक्की (घराट) के लिए ऐसी डिवाइस विकसित करे, जिससे घराट विलुप्त होने के बजाय स्वरोजगार का साधन बने। घराटों के विकसित होने से पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भी बल मिलेगा।
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) पहाड़ के दूरदराज क्षेत्रों में पारंपरिक पनचक्की (घराट) के लिए ऐसी डिवाइस विकसित करे, जिससे घराट विलुप्त होने के बजाय स्वरोजगार का साधन बने। घराटों के विकसित होने से पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भी बल मिलेगा। यह बात यूटीयू के कुलपति डॉ. यूएस रावत ने विवि में छात्रों को संबोधित करते हुए कही।
कहा कि घराट पारंपरिक ज्ञान पर आधारित है। आज वैश्विक स्तर पर तकनीकी शिक्षा जिस प्रकार विकसित हो रही है, उसे घराटों में प्रयोग करना चाहिए। पहाड़ों से घराट की कल्पना लगभग समाप्त हो चुकी है। जबकि, यह पहाड़ी क्षेत्रों में सबसे सस्ता एवं सुलभ कुटीर उद्योग रहा है। घराट शुरू होने से डीजल से चलने वाली आटा चक्की भी कम होगी, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है। कहा कि यूटीयू पहाड़ी जिलों में एक सप्ताह तक की कार्यशाला आयोजित करेगा, जिसमें ग्रामीणों को पारंपरिक तकनीकी ज्ञान को बढ़ावा देने का हुनर सिखाया जाएगा। गांवों में कारपेंटर, प्लंबर, मिस्त्री आदि जो पहले न केवल स्वरोजगार से जुड़े थे, बल्कि बेजोड़ नक्काशी के धनी थे। घरों के मुख्य दरवाजे के ऊपर गणेश की आकृति, लकड़ी की तिजारी जैसी हस्तशिल्प को विकसित करने के लिए यूटीयू न्यू टेक्नोलॉजी से इन्हें जोड़ेगा। इसके अलावा गांवों में पशुओं के लिए हरी पत्तियां निकालने के दौरान बड़े-बड़े पेड़ों पर चढ़ने का जोखिम भी टेक्नोलॉजी के माध्यम से कम करना होगा। इस प्रकार कीदरांती एवं कुल्हाड़ी विकसित करनी होगी कि पशुपालक जमीन पर रहते हुए आसानी से पेड़ों की टहनियों को काट सकें। यूटीयू का तकनीकी ज्ञान गांवों के विकास में काम आना चाहिए।
रामानंद संस्थान को प्रथम पुरस्कार
यूटीयू की ओर से इनोवेशन पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में रामानंद इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी एंड मैनजमेंट की छात्रा नेहा शर्मा, सतेंद्र कुमार एवं प्रशांत शर्मा के मॉडल को प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया। जबकि, जेबीआइटी के अजय कुमार, संदीप कुमार एवं ऋतिक और तुलाज संस्थान के शेखर तिवारी को संयुक्त रूप से द्वितीय पुरस्कार के लिए चुना गया। विजेता छात्र-छात्राओं को विवि की कुलसचिव डॉ. अनीता रावत ने पुरस्कारों से नवाजा।