राजपथ पर जीवंत होगी गांधीजी की कौसानी यात्रा, अबतक ये झांकियां हो चुकी हैं शामिल
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की देवभूमि में कौसानी यात्रा से जुड़ी यादें इस बार दिल्ली में राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड के दौरान जीवंत होंगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की देवभूमि में कौसानी यात्रा से जुड़ी यादें इस बार दिल्ली में राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड के दौरान जीवंत होंगी। गांधीजी की जयंती के 150 साल पूर्ण होने पर केंद्र सरकार ने इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड की थीम महात्मा गांधी पर रखी है। इसी क्रम में उत्तराखंड की झांकी 'अनासक्ति आश्रम' का चयन इस परेड के लिए हुआ है। गांधीजी ने कौसानी यात्रा के दौरान यहां अनासक्ति योग पुस्तक की समीक्षा लिखी थी। साथ ही कौसानी को भारत का 'स्विटजरलैंड' कहा था।
केंद्र सरकार के निर्देशों के क्रम में उत्तराखंड की ओर से महात्मा गांधी की कौसानी यात्रा पर केंद्रित झांकी का प्रस्ताव गणतंत्र दिवस परेड के लिए भेजा गया था। सूचना विभाग के उप निदेशक एवं राष्ट्रीय समारोह के नोडल अधिकारी केएस चौहान के मुताबिक छह दौर की बैठकों में प्रभावी ढंग से प्रस्तुतीकरण के बाद राज्य की झांकी का अंतिम रूप से चयन किया गया। झांकी का विषय 'अनासक्ति आश्रम' रखा गया है। गांधी जी ने वर्ष 1929 में कौसानी स्थित इस आश्रम का भ्रमण किया था। आश्रम का संचालन स्थानीय महिलाएं करती हैं। आश्रम को पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के रूप में विकसित किया गया है।
ये है झांकी में शामिल
गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर निकलने वाली उत्तराखंड की 'अनासक्ति आश्रम' झांकी के अग्रभाग में अनासक्ति योग लिखते हुए महात्मा गांधी की बड़ी आकृति शामिल है। राष्ट्रीय समारोह के नोडल अधिकारी चौहान के अनुसार झांकी के मध्य भाग में अनासक्ति आश्रम और इसके दोनों ओर योग व अध्ययन करते नागरिकों के साथ ही पंडित गोविंदबल्लभ पंत को गांधीजी से वार्ता करते हुए दिखाया गया है। पिछले हिस्से में देवदार के पेड़, स्थानीय नागरिक व ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं को दिखाया गया है।
साइड पैनल में उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत, जागेश्वर धाम, बदरीनाथ व केदारनाथ धाम को दर्शाया गया है।
गणतंत्र दिवस परेड में राज्य की झांकियां
वर्ष, झांकी
2003, फुलदेई पर्व
2005, श्रीनंदा राजजात
2006, फूलों की घाटी
2007, कार्बेट नेशनल पार्क
2009, साहसिक पर्यटन
2010, कुंभ मेला हरिद्वार
2014, जड़ी-बूटी
2015, केदारनाथ धाम
2016, रम्माण
2018, ग्रामीण पर्यटन
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